Please
Do not spit
Do not sit more
Pay promptly, time is valuable
Do not write letter
without order refreshment
Do not comb,
hair is spoiling floor
Do not make mischiefs in cabin
our waiter is reporting
Come again
All are welcome whatever caste
If not satisfied tell us
otherwise tell others
GOD IS GREAT
--- Nissim Ezekiel
May 7, 2022
May 1, 2022
मज़दूरों का गीत
मेहनत से ये माना चूर हैं हम
आराम से कोसों दूर हैं हम
पर लड़ने पर मजबूर हैं हम
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
गो आफ़त ओ ग़म के मारे हैं
हम ख़ाक नहीं हैं तारे हैं
इस जग के राज-दुलारे हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
बनने की तमन्ना रखते हैं
मिटने का कलेजा रखते हैं
सरकश हैं सर ऊँचा रखते हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हर चन्द कि हैं अदबार में हम
कहते हैं खुले बाज़ार में हम
हैं सब से बड़े संसार में हम
मज़दूर में हम मज़दूर हैं हम
जिस सम्त बढ़ा देते हैं क़दम
झुक जाते हैं शाहों के परचम
सावन्त हैं हम बलवन्त हैं हम
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
गो जान पे लाखों बार बनी
कर गुज़रे मगर जो जी में ठनी
हम दिल के खरे बातों के धनी
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम क्या हैं कभी दिखला देंगे
हम नज़्म-ए-कुहन को ढा देंगे
हम अर्ज़-ओ-समा को हिला देंगे
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम जिस्म में ताक़त रखते हैं
सीनों में हरारत रखते हैं
हम अज़्म-ए-बग़ावत रखते हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
जिस रोज़ बग़ावत कर देंगे
दुनिया में क़यामत कर देंगे
ख़्वाबों को हक़ीक़त कर देंगे
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम क़ब्ज़ा करेंगे दफ़्तर पर
हम वार करेंगे क़ैसर पर
हम टूट पड़ेंगे लश्कर पर
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
---मजाज़ लखनवी
आराम से कोसों दूर हैं हम
पर लड़ने पर मजबूर हैं हम
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
गो आफ़त ओ ग़म के मारे हैं
हम ख़ाक नहीं हैं तारे हैं
इस जग के राज-दुलारे हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
बनने की तमन्ना रखते हैं
मिटने का कलेजा रखते हैं
सरकश हैं सर ऊँचा रखते हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हर चन्द कि हैं अदबार में हम
कहते हैं खुले बाज़ार में हम
हैं सब से बड़े संसार में हम
मज़दूर में हम मज़दूर हैं हम
जिस सम्त बढ़ा देते हैं क़दम
झुक जाते हैं शाहों के परचम
सावन्त हैं हम बलवन्त हैं हम
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
गो जान पे लाखों बार बनी
कर गुज़रे मगर जो जी में ठनी
हम दिल के खरे बातों के धनी
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम क्या हैं कभी दिखला देंगे
हम नज़्म-ए-कुहन को ढा देंगे
हम अर्ज़-ओ-समा को हिला देंगे
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम जिस्म में ताक़त रखते हैं
सीनों में हरारत रखते हैं
हम अज़्म-ए-बग़ावत रखते हैं
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
जिस रोज़ बग़ावत कर देंगे
दुनिया में क़यामत कर देंगे
ख़्वाबों को हक़ीक़त कर देंगे
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
हम क़ब्ज़ा करेंगे दफ़्तर पर
हम वार करेंगे क़ैसर पर
हम टूट पड़ेंगे लश्कर पर
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम
---मजाज़ लखनवी
Apr 23, 2022
स्कूल चले हम (School chale hum)
ओहो हो ओहो हो हो हो…
सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, बन ठन के निकले हम
सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, घर से दूर चले हम
रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसे हम
सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम
ओहो..हो ओहो..हो हो..हो हो
इसके दरवाज़े से दुनिया के राज़ खुलते है
कोई आगे चलता है हम पीछे चलते है
दीवारों पे किस्मत अपनी लिखी जाती है
इस से हमको जीने की वजह मिलती जाती है
सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, बन ठन के निकले हम
सवेरे सवेरे, यारों से मिलने, घर से दूर चले हम
रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसे हम
सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम
ओहो..हो ओहो..हो हो..हो हो
इसके दरवाज़े से दुनिया के राज़ खुलते है
कोई आगे चलता है हम पीछे चलते है
दीवारों पे किस्मत अपनी लिखी जाती है
इस से हमको जीने की वजह मिलती जाती है
रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम
सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम
स्कूल चलें हम, हो..हो.. हो
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम
सूरज सा चमके हम - स्कूल चलें हम
स्कूल चलें हम, हो..हो.. हो
ओहो..हो ओहो..हो हो..हो हो
रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम
स्कूल चलें हम
रोके से ना रुके हम , मर्ज़ी से चलें हम
बादल सा गरजें हम , सावन सा बरसें हम
स्कूल चलें हम
---महबूब
Apr 21, 2022
चुप्पियाँ
चुप्पियाँ बढ़ती जा रही हैं
उन सारी जगहों पर
जहाँ बोलना जरूरी था
बढ़ती जा रही हैं वे
जैसे बढ़ते बाल
जैसे बढ़ते हैं नाख़ून
और आश्चर्य कि किसी को वह गड़ती तक नहीं..
~ केदारनाथ सिंह
उन सारी जगहों पर
जहाँ बोलना जरूरी था
बढ़ती जा रही हैं वे
जैसे बढ़ते बाल
जैसे बढ़ते हैं नाख़ून
और आश्चर्य कि किसी को वह गड़ती तक नहीं..
~ केदारनाथ सिंह
Apr 15, 2022
'Civil Service Romance'
The Letter
- Kaiser Hamidul Haq
Subject: Improvement of Bilateral Ties
Dear Miss:
With due respect and humble submission
I beg to welcome you to neighboring section.
I am coming the other day.
early for change
in view of new Boss
and you are also coming up the same stairway.
Power is failing as per schedule
and the lift will not move.
Not even down.
Five floors is no joke for fair sex
but still you are climbing and smiling.
I am sweating but you are glowing.
and becoming very beautiful.
Hitherto also you are pretty
needless to say. This is the face
I am saying to myself
to expedite launching of vessels.
Fair Helen, I am mentally drafting
make me immortal crew member.
You are joining as lower division assistant.
but you are Upper Division lady to me.
I was lower division initially
and rose by dint of good performance
I will teach sweet lady to follow suit
I am thinking at once: how to do
the buttering of boss.
Dear Miss:
With due respect and humble submission
I beg to welcome you to neighboring section.
I am coming the other day.
early for change
in view of new Boss
and you are also coming up the same stairway.
Power is failing as per schedule
and the lift will not move.
Not even down.
Five floors is no joke for fair sex
but still you are climbing and smiling.
I am sweating but you are glowing.
and becoming very beautiful.
Hitherto also you are pretty
needless to say. This is the face
I am saying to myself
to expedite launching of vessels.
Fair Helen, I am mentally drafting
make me immortal crew member.
You are joining as lower division assistant.
but you are Upper Division lady to me.
I was lower division initially
and rose by dint of good performance
I will teach sweet lady to follow suit
I am thinking at once: how to do
the buttering of boss.
- Kaiser Hamidul Haq
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