Jan 23, 2023

क्या गजब का देश है

क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।
बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है।
आँख में दरिया है सबके
दिल में है सबके पहाड़
आदमी भूगोल है जी चाहा नक्शा पेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

हैं सभी माहिर उगाने
में हथेली पर फसल
औ हथेली डोलती दर-दर बनी दरवेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

पेड़ हो या आदमी
कोई फरक पड़ता नहीं
लाख काटे जाइए जंगल हमेशा शेष हैं।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

--- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Jan 14, 2023

एक दिन शिनाख़्त

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हम क्या कर रहे थे?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी नींद कितनी गहरी थी?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आवाज़ कौन छीनकर ले गया?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आँखों को एकाएक क्या हुआ?

एक दिन
हमारी नब्ज़
टटोली जाएगी

एक दिन
क़तार में खड़े
हम
अपनी अपनी सज़ा का
इंतेज़ार कर रहे होंगे

Jan 7, 2023

सूअर का बच्चा

बारिश जमकर हुई, धुल गया सूअर का बच्चा
धुल-पुँछकर अँगरेज़ बन गया सूअर का बच्चा।

चित्रलिखी हकबकी गाय, झेलती रही बौछारें
फिर भी कूल्हों पर गोबर की झाँई छपी हुई है
कुत्ता तो घुस गया अधबने उस मकान के भीतर
जिसमें पड़ना फ़र्श, पलस्तर होना सब बाक़ी है।

चीनी मिल के आगे डीज़ल मिले हुए कीचड़ में
रपट गया है लिए-दिए इक्का गर्दन पर घोड़ा
लिथड़ा पड़ा चलाता टाँगें आँखों में भर आँसू
दौड़े लोग मदद को, मिस्त्री-रिक्शे-ताँगेवाले।

राजमार्ग है यह, ट्राफ़िक चलता चौबीसों घंटे
थोड़ी-सी भी बाधा से बेहद बवाल होता है।
लगभग बंद हुआ पानी पर टपक रहे हैं खोखे
परेशान हैं ख़ास तौर पर चाय-पकौड़े वाले,
या बीड़ी माचिस वाले।

पोलीथिन से ढाँप कटोरी लौट रही घर रज्जो
अम्मा के आने से पहले चूल्हा तो धौंका ले
रखे छौंक तरकारी।

पहले-पहल दृश्य दीखते हैं इतने अलबेले
आँखों ने पहले-पहले अपनी उजास देखी है
ठंडक पहुँची सीझ हृदय में अद्भुत मोद भरा है
इससे इतनी अकड़ भरा है सूअर का बच्चा।

--- वीरेन डंगवाल

Jan 1, 2023

तुम सवालो से भरे हो...

तुम सवालो से भरे हो
क्या तुम्हें मालूम है

भीड़ से कुछ पूछने भी
जानलेवा जुर्म है

तफशीष करने आये हो
खुल कर लो शौक से

फर्क पड़ता है कहा है
एक दो की मौत से

चार दिन चर्चा उठेगी
डेमोक्रेसी लाएंगे

पांचवे दिन सब काम पे
लग जाएंगे

काम से ही काम रखना
हा मगर ये याद रखना

कोई पूछे कौन थे
बस तुम्हे इतना ही कहना

भीड़ थी कुछ लोग थे

फिर भी कोई ज़िद पकड़ले
क्या हुआ किसने किया

सोच के उंगली उठाना
कट रही है उंगलियां

बात को कुछ यूं घूमना

नफरतो के रोग थे
धर्म न जात उनके

भीड़ थी
कुछ लोग थे

--- नवीन चौरे

Dec 25, 2022

Potli Baba Ki (पोटली बाबा की) (Old Doordarshan Serial Title Song)

आया... रे बाबा आया...

घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
हे.. आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...

पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
हे..आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...