Sep 29, 2025

निराला की कविता में संगीत

ताक कमसिनवारि,
ताक कम सिनवारि,
ताक कम सिन वारि,
सिनवारि सिनवारि।
ता ककमसि नवारि,
ताक कमसि नवारि,
ताक कमसिन वारि,
कमसिन कमसिनवारि।

इरावनि समक कात्,
इरावनि सम ककात्,
इराव निसम ककात्,
सम ककात् सिनवारि।


यह पोस्ट निराला के जीवन के अंतिम वर्षों में लिखा गया एक अनोखा और ध्वन्यात्मक गीत प्रस्तुत करता है, जो उनकी मृत्यु के बाद "सान्ध्य काकली" में संकलित हुआ। यह गीत पारंपरिक ध्रुपद गायन की शैली के समान शब्दों के उलटफेर और पुनरावृत्ति से भरा है, जिसे रामविलास शर्मा ने निराला की "क्लासिकी" संगीत रचना बताया है।

Sep 26, 2025

प्यार की गंगा बहे (Pyar Kee Ganga Bahe)

सुन सुन सुन मेरे नन्हे सुन,
सुन सुन सुन मेरे मुन्ने सुन,
प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।

सुन सुन सुन मेरी नन्ही सुन,
सुन सुन सुन मेरी मुन्नी सुन,
प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।

ख़त्म काली रात हो, रोशनी की बात हो,
दोस्ती की बात हो, ज़िन्दगी की बात हो।
बात हो इंसान की, बात हो हिन्दुस्तान की,
सारा भारत ये कहे –
प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे,
देश में एकता रहे।

अब ना दुश्मनी पाले, अब ना कोई घर जले,
अब नहीं उजड़े सुहाग, अब नहीं फैले ये आग।
अब ना हों बच्चे अनाथ, अब ना हो नफ़रत की घाट,
सारा भारत ये कहे –
प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे,
देश में एकता रहे।

सारे बच्चे बच्चियाँ, सारे बूढ़े और जवाँ,
यानि सब हिन्दुस्तान।
एक मंज़िल पर मिलें, एक साथ फिर चलें,
एक साथ फिर रहें, एक साथ फिर कहें।
एक साथ फिर कहें, फिर कहें –
प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे,
देश में एकता रहे,
देश में एकता रहे, सारा भारत ये कहे,
सारा भारत ये कहे –
देश में एकता रहे।  

गीत “प्यार की गंगा बहे” 1993 में निर्देशक सुभाष घई ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आग्रह पर बनाया, जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश में साम्प्रदायिक तनाव था। गीतकार जावेद अख्तर और संगीतकार लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने इसे रचा। इसमें बॉलीवुड सितारे सलमान खान, आमिर खान, अनिल कपूर, गोविंदा, जैकी श्रॉफ, ऋषि कपूर, नसीरुद्दीन शाह तथा दक्षिण और क्षेत्रीय सितारे रजनीकांत, मम्मूटी, चिरंजीवी, प्रसेंजीत, सचिन पिलगांवकर आदि शामिल हुए। सभी कलाकारों ने बिना पारिश्रमिक भाग लेकर अपने बच्चों को भी इसमें शामिल किया। गीत का उद्देश्य था देश में प्रेम, भाईचारा और एकता का संदेश फैलाना।

Sep 23, 2025

We, Made of Bone

These days, I refuse to let you see me
the way I see myself.

I wake up in the morning not knowing
whether I will make it through the day;

reminding myself of the small, small things
I’ve forgotten to marvel in;

these trees, blood-free and bone-dry
have come to rescue me more than once,

but my saving often requires hiding
yet they stand so tall, so slim and gluttonous

refusing to contain me; even baobab trees
will split open at my command, and

carve out fleshless wombs to welcome me.
I must fall out of love of the world

without me in it, but my loves have
long gone, and left me in a foreign land

where once I was made of bone,
now water, now nothing.

--- Mahtem Shiferraw

Sep 17, 2025

I am not done yet

I am not done yet
as possible as yeast
as imminent as bread
a collection of safe habits
a collection of cares
less certain than i seem
more certain than i was
a changed changer
i continue to continue
what i have been
most of my lives is
where i’m going

--- Lucille Clifton

Sep 7, 2025

Alif Laila - Title Song Lyrics - Doordarshan

 अलिफ लैला ओ ओ…

अलिफ लैला, अलिफ लैला, अलिफ लैला ओ ओ

अलिफ लैला, अलिफ लैला, अलिफ लैला

हर शब नई कहानी

दिलचस्प है बयानी

सदियाँ गुज़र गयी है

लेकिन न हो पुरानी

परियों को जीत लाये

जीनो को भी हराए

इंसान में वो ताकत

सब पे करे हुकूमत

अलिफ लैला ओ ओ ओ….