हम देखेंगे
लाज़िम है के हम भी देखेंगे
वो दिन की जिसका वादा है
जो लौहे-अज़ल पे लिखा है
जब जुल्मो-सितम के कोहे-गरां
रूई की तरह उड़ जाएंगे
हम महकूमों के पांव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहले-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज़े-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएंगे
हम अहले-सफा मर्दूदे-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेग अल्लाह का
जो गायब भी है, हाज़िर भी
जो मंज़र भी है, नाज़िर भी
उठ्ठेगा अनलहक़ का नारा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो
और राज़ करेगी खल्क़े-खुदा
जो मैं भी हूं और तुम भी हो |
- फैज़ अहमद फैज़.
लौह a tablet, a board, a plank; महकूम a subject, a subordinate; अहले-सफा pure people; अज़ल eternity, beginning (opp abad); मंज़र spectacle, a scene, a view; नाज़िर spectator, reader अनलहक़ I am Truth, I am God. Sufi Mansoor was hanged for saying it; खल्क़ the people, mankind, creation;
17 अप्रैल 2010
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल
मदभरा हर्फ़ कोई, ज़हर भरा हर्फ़ कोई
हर्फ़ = paper, ख्याल = imagination, idea, फिर = again, ढूंढता = finding, ढूंढता फिरता = finding here and there, मदभरा = filled with eulogy, ज़हर = poison, भरा = filled with
दिलनशी हर्फ़ कोई, क़हर भरा हर्फ़ कोई
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल
दिलनशी = intoxicating love, क़हर = disaster
हर्फ़-ऐ-उल्फत कोई दिलदार नज़र हो जैसे
जिससे मिलती है नज़र बोसा-ऐ-लब की सूरत
उल्फत = love, हर्फ़-ऐ-उल्फत = letter (paper) of/with love, नज़र = in front of eyes, बोसा = kiss, लब = lips, बोसा-ऐ-लब = kissed with lips, सूरत = image (also means face, but image is most appropriate)
इतना रौशन की सरे मौज-ऐ-ज़र हो जैसे
सौहबतें यार में आगाज़-ऐ-तरब की सूरत
इतना = so much, रौशन = bright, सरे = in public, out there, मौज = surge, wave, ज़र = gold, मौज-ऐ-ज़र = surge (wave) of gold, सौहबतें = in company, यार = beloved, आगाज़ = start, beginning, तरब = joy, happiness
हर्फ़-ऐ-नफरत कोई शमशीरे गज़ब हो जैसे
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल|
नफरत = hate, शमशीरे = swords, गज़ब = very strong, powerful
-फैज़ अहमद फैज़.
Thanks to the user for such detailed explanation of poem. You will find youtube video of the movie 'In custody' in the weblink where poem is used.
मदभरा हर्फ़ कोई, ज़हर भरा हर्फ़ कोई
हर्फ़ = paper, ख्याल = imagination, idea, फिर = again, ढूंढता = finding, ढूंढता फिरता = finding here and there, मदभरा = filled with eulogy, ज़हर = poison, भरा = filled with
दिलनशी हर्फ़ कोई, क़हर भरा हर्फ़ कोई
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल
दिलनशी = intoxicating love, क़हर = disaster
हर्फ़-ऐ-उल्फत कोई दिलदार नज़र हो जैसे
जिससे मिलती है नज़र बोसा-ऐ-लब की सूरत
उल्फत = love, हर्फ़-ऐ-उल्फत = letter (paper) of/with love, नज़र = in front of eyes, बोसा = kiss, लब = lips, बोसा-ऐ-लब = kissed with lips, सूरत = image (also means face, but image is most appropriate)
इतना रौशन की सरे मौज-ऐ-ज़र हो जैसे
सौहबतें यार में आगाज़-ऐ-तरब की सूरत
इतना = so much, रौशन = bright, सरे = in public, out there, मौज = surge, wave, ज़र = gold, मौज-ऐ-ज़र = surge (wave) of gold, सौहबतें = in company, यार = beloved, आगाज़ = start, beginning, तरब = joy, happiness
हर्फ़-ऐ-नफरत कोई शमशीरे गज़ब हो जैसे
आज एक हर्फ़ को फिर ढूंढता फिरता है ख्याल|
नफरत = hate, शमशीरे = swords, गज़ब = very strong, powerful
-फैज़ अहमद फैज़.
Thanks to the user for such detailed explanation of poem. You will find youtube video of the movie 'In custody' in the weblink where poem is used.
12 अप्रैल 2010
Statement
In the ruins of memory the house breathes
through its mouldy surface
touched by strangers' looks
surrenders
lowering eyelids in abandoned
defenselessness
Time cracks inside the ripened walls
It tears off with fragile flakes
Swollen with history the heart of hearts
bestows its place on silence
More and more
transparent
caring walls
sheltering walls
define our confinement.
- Joanna Hoffman
through its mouldy surface
touched by strangers' looks
surrenders
lowering eyelids in abandoned
defenselessness
Time cracks inside the ripened walls
It tears off with fragile flakes
Swollen with history the heart of hearts
bestows its place on silence
More and more
transparent
caring walls
sheltering walls
define our confinement.
- Joanna Hoffman
9 अप्रैल 2010
Sarfaroshi ki Tamanna...
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसर कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में
English Translation:
The desire for sacrifice is now in our hearts
We shall now see what strength there is in the boughs of the enemy.
Hey country, Why is no one speaking to each other?
Whoever I see, is gathered quiet in my party...
O martyr of country, of nation, I submit myself to thee
For yet even the enemy speaks of thy courage
The desire for struggle is in our hearts...
When the time comes, we shall show thee, O heaven
For why should we tell thee now, what lurks in our hearts?
We have been dragged to service, by the hope of blood, of vengeance
Yea, by our love for nation divine, we go to the streets of the enemy
The desire for struggle is in our hearts...
Armed does the enemy sit, ready to open fire
Ready too are we, our bosoms thrust out to him
With blood we shall play Holi, if our nation need us
The desire for struggle is in our hearts...
No sword can sever hands that have the heat of battle within,
No threat can bow heads that have risen so...
Yea, for in our insides has risen a flame,
and the desire for struggle is in our hearts...
Set we out from our homes, our heads shrouded with cloth,
Taking our lives in our hands, do we march so...
In our assembly of death, life is now but a guest
The desire for struggle is in our hearts...
Stands the enemy in the gallows thus, asking,
Does anyone wish to be sacrificed?...
With a host of storms in our heart, and with revolution in our breath,
We shall knock the enemy cold, and no one shall stop us...
What good is a body that does not have passionate blood,
How can one conquer a storm while in a shored boat.
The desire for struggle is in our hearts,
We shall now see what strength there is in the boughs of the enemy.
--- बिस्मिल अज़ीमाबादी (Wrongly cited for Ram Prasad Bismil)
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसर कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में
English Translation:
The desire for sacrifice is now in our hearts
We shall now see what strength there is in the boughs of the enemy.
Hey country, Why is no one speaking to each other?
Whoever I see, is gathered quiet in my party...
O martyr of country, of nation, I submit myself to thee
For yet even the enemy speaks of thy courage
The desire for struggle is in our hearts...
When the time comes, we shall show thee, O heaven
For why should we tell thee now, what lurks in our hearts?
We have been dragged to service, by the hope of blood, of vengeance
Yea, by our love for nation divine, we go to the streets of the enemy
The desire for struggle is in our hearts...
Armed does the enemy sit, ready to open fire
Ready too are we, our bosoms thrust out to him
With blood we shall play Holi, if our nation need us
The desire for struggle is in our hearts...
No sword can sever hands that have the heat of battle within,
No threat can bow heads that have risen so...
Yea, for in our insides has risen a flame,
and the desire for struggle is in our hearts...
Set we out from our homes, our heads shrouded with cloth,
Taking our lives in our hands, do we march so...
In our assembly of death, life is now but a guest
The desire for struggle is in our hearts...
Stands the enemy in the gallows thus, asking,
Does anyone wish to be sacrificed?...
With a host of storms in our heart, and with revolution in our breath,
We shall knock the enemy cold, and no one shall stop us...
What good is a body that does not have passionate blood,
How can one conquer a storm while in a shored boat.
The desire for struggle is in our hearts,
We shall now see what strength there is in the boughs of the enemy.
--- बिस्मिल अज़ीमाबादी (Wrongly cited for Ram Prasad Bismil)
8 अप्रैल 2010
I was born with agonies
I was born with agonies
I will die with griefs
(I want) (you) to write my agonies
up on my gravestone
I will climb on a mountain
I will get down in the dark caves
my eyes to extinguish
not to be able to see the sun
I will get down in the garden
to those dewy flowers
to that scarlet rose
to that early white basil.
Original Text:
So maki sum se rodil jas
So zalosti jas ke si umram
Makite da mi gi napisite
Ozgora na grobot moj.
Ke se kacam na planina
Ke slezam v temni pesteri
Ocite da mi paraldisaat
Sonceto da ne go vidam
Ke slezam dolu v gul bavca,
Kaj tie rosni cvekinja
Kaj toj katmer alov trendafil
Kaj toj ran bel bosilok.
- Toše Proeski
I will die with griefs
(I want) (you) to write my agonies
up on my gravestone
I will climb on a mountain
I will get down in the dark caves
my eyes to extinguish
not to be able to see the sun
I will get down in the garden
to those dewy flowers
to that scarlet rose
to that early white basil.
Original Text:
So maki sum se rodil jas
So zalosti jas ke si umram
Makite da mi gi napisite
Ozgora na grobot moj.
Ke se kacam na planina
Ke slezam v temni pesteri
Ocite da mi paraldisaat
Sonceto da ne go vidam
Ke slezam dolu v gul bavca,
Kaj tie rosni cvekinja
Kaj toj katmer alov trendafil
Kaj toj ran bel bosilok.
- Toše Proeski
7 अप्रैल 2010
तेरा हिज्र मेरा नसीब है
तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा ग़म ही मेरी हयात है
मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ है
मेरे वास्ते तेरे नाम पर कोई हर्फ़ आये नहीं नहीं
मुझे ख़ौफ़-ए-दुनिया नहीं मगर मेरे रू-ब-रू तेरी ज़ात है
तेरा वस्ल ऐ मेरी दिलरुबा नहीं मेरी किस्मत तो क्या हुआ
मेरी महजबीं यही कम है क्या तेरी हसरतों का तो साथ है
तेरा इश्क़ मुझ पे है मेहरबाँ मेरे दिल को हासिल है दो जहाँ
मेरी जान-ए-जाँ इसी बात पर मेरी जान जाये तो बात है |
- निदा फ़ाज़ली
मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों तू कहीं भी हो मेरे साथ है
मेरे वास्ते तेरे नाम पर कोई हर्फ़ आये नहीं नहीं
मुझे ख़ौफ़-ए-दुनिया नहीं मगर मेरे रू-ब-रू तेरी ज़ात है
तेरा वस्ल ऐ मेरी दिलरुबा नहीं मेरी किस्मत तो क्या हुआ
मेरी महजबीं यही कम है क्या तेरी हसरतों का तो साथ है
तेरा इश्क़ मुझ पे है मेहरबाँ मेरे दिल को हासिल है दो जहाँ
मेरी जान-ए-जाँ इसी बात पर मेरी जान जाये तो बात है |
- निदा फ़ाज़ली
I celebrate myself
I celebrate myself, and sing myself,
And what I assume you shall assume,
For every atom belonging to me as good belongs to you.
I loafe and invite my Soul;
I lean and loafe at my ease, observing a spear of summer grass.
Houses and rooms are full of perfumes—the shelves are crowded with perfumes;
I breathe the fragrance myself, and know it and like it;
The distillation would intoxicate me also, but I shall not let it.
The atmosphere is not a perfume—it has no taste of the distillation—it is odorless;
It is for my mouth forever—I am in love with it;
I will go to the bank by the wood, and become undisguised and naked;
I am mad for it to be in contact with me.
- Walt Whitman from Leaves of Grass
And what I assume you shall assume,
For every atom belonging to me as good belongs to you.
I loafe and invite my Soul;
I lean and loafe at my ease, observing a spear of summer grass.
Houses and rooms are full of perfumes—the shelves are crowded with perfumes;
I breathe the fragrance myself, and know it and like it;
The distillation would intoxicate me also, but I shall not let it.
The atmosphere is not a perfume—it has no taste of the distillation—it is odorless;
It is for my mouth forever—I am in love with it;
I will go to the bank by the wood, and become undisguised and naked;
I am mad for it to be in contact with me.
- Walt Whitman from Leaves of Grass
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