2. बात मुक़द्दर की है सारी, वक़्त का लिखा मारता है, कुछ सजदों में मर जाते हैं, कुछ को सजदा मारता है - अली जरयून
3. काबे में मुसलमाँ को कह देते हैं काफिर, बुतखाने में काफिर को काफिर नहीं कहते - बिस्मिल सईदी
4. ग़ुरूरे वक्त तुझको बात इतनी कौन समझाये, वो सर झुक ही नहीं सकता जिसे कट जाना आता है। ~वसीम बरेलवी
5. ख़ुद से जो राब्ता नहीं करते, ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते ! तुमको मालूम क्या है आज़ादी, तुम परिंदे रिहा नहीं करते - शाहरुख़ अबीर
6. गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़, काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी
7. आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो, जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने 'फ़िराक़' को देखा है| - फ़िराक़ गोरखपुरी
8. हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब, ढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने ~मेराज फ़ैज़ाबादी
9. बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा, बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा ~इस्माइल मेरठी
10. ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के, हमारे दिल कबाब और तू पिए प्याले रक़ीबों के ~ वली उज़लत
11. ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है - अज़हर इनायती
12. मेरी हवाओं में रहेगी, ख़्यालों की बिजली, यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे, न रहे...!!! - भगत सिंह
13. मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया, कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया...!!! - नामालूम
14. क्या हमारा मुंह उजाला हो गया, साया भी जल जल के काल हो गया - ज़हीर रहमती
15. चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी - बशीर बद्र
9. बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा, बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा ~इस्माइल मेरठी
10. ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के, हमारे दिल कबाब और तू पिए प्याले रक़ीबों के ~ वली उज़लत
11. ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है - अज़हर इनायती
12. मेरी हवाओं में रहेगी, ख़्यालों की बिजली, यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे, न रहे...!!! - भगत सिंह
13. मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया, कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया...!!! - नामालूम
14. क्या हमारा मुंह उजाला हो गया, साया भी जल जल के काल हो गया - ज़हीर रहमती
15. चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी - बशीर बद्र