नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं
क़रीब उनके आने के दिन आ रहे हैं
जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं
अभी से दिल-ओ-जाँ सरे-राह रख दो
के लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं
टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं
सबा फिर हमें पूछती फिर रही है
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं
चलो "फ़ैज़" फिर से कहीं दिल लगायेँ
सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं
--- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
It is also used in the film In Custody (1993)
गायक: शंकर महादेवन
संगीतकार: उस्ताद जाकिर हुसैन और उस्ताद सुलतान खान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें