1)
न मौजें, न तूफां, न माझी, न साहिल
मगर मन की नैया बही जा रही है
चला जा रहा है वफ़ा का मुसाफ़िर
जिधर भी तमन्ना लिये जा रही है |
-दिल शाहजहांपुरी
2)
रख कदम फूंक-फूंक कर नादान
ज़र्रे-ज़र्रे में जान है प्यारे
मीर आमदन भी कोई मरता है
जान है तो जहान है प्यारे
(आमदन = ज़िद करके, जान-बूझ कर)
- मीर तक़ी मीर
3)
लाए उस बुत को इल्तिज़ा करके, कुफ़्र टूटा ख़ुदा ख़ुदा करके|
- पंडित दयाशंकर नसीम
4)
हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे
बहारें हमको ढूँढेंगी ना जाने हम कहाँ होंगे
ना हम होंगे ना तुम होगे और ना ये दिल होगा फिर भी
हज़ारों मंज़िले होंगी हज़ारों कारँवा होंगे|
- मजरूह सुल्तानपुरी
5)
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे
मर के भी अगर चैन ना पाया तो किधर जाएंगे
हम नहीं वो जो करें ख़ून का दावा तुझ पर
बल्कि पूछेगा ख़ुदा भी तो मुकर जाएंगे
“ज़ौक” जो मदरसे के बिगडे हुए हैं मुल्लाह
उनको मयख़ाने में ले आओ संवर जाएंगे|
- इब्राहिम “ज़ौक़”
6)
इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ
बंदगी हमने छोड़ दी है फ़राज़
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ|
- अहमद फ़राज़
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