May 1, 2023

स्वर्ग से बिदाई

भाईयों और बहनों !
अब ये आलीशान इमारत
बन कर तैयार हो गयी है
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

अपनी भरपूर ताक़त लगाकर
आपने ज़मीन काटी
गहरी नींव डाली,
मिट्टी के नीचे दब भी गए
आपके कई साथी
मगर आपने हिम्मत से काम लिया
पत्थर और इरादे से,
संकल्प और लोहे से,
बालू, कल्पना और सीमेंट से,
ईंट दर ईंट आपने
अटूट बुलंदी की दीवार खड़ी की
छत ऐसी कि हाथ बढ़ाकर,
आसमान छुआ जा सके,
बादलों से बात की जा सके
खिड़कियाँ क्षितिज की थाह लेने वाली,
आँखों जैसी,
दरवाज़े, शानदार स्वागत !
अपने घुटनों और बाजुओं और
बरौनियों के बल पर
सैकड़ों साल टिकी रहने वाली
यह जीती-जागती ईमारत तैयार की


अब आपने हरा भरा लान
फूलों का बाग़ीचा
झरना और ताल भी बना दिया है
कमरे कमरे में गलीचा
और क़दम क़दम पर
रंग-बिरंगी रौशनी फैला दी है

गर्मी में ठंडक और ठंड में
गुनगुनी गर्मी का इंतज़ाम कर दिया है
संगीत और नृत्य के
साज़ सामान
सही जगह पर रख दिए हैं
अलगनियां प्यालियाँ
गिलास और बोतलें
सज़ा दी हैं


कम शब्दों में कहें तो
सुख सुविधा और आज़ादी का
एक सुरक्षित इलाका
एक झिलमिलाता स्वर्ग
रच दिया है

इस मेहनत
और इस लगन के लिए
आपका बहुत धन्यवाद
अब आप यहाँ से जा सकते हैं
यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ
जहाँ चाहे वहां जाएँ
फिलहाल उधर अँधेरे में
कटी ज़मीन पर
जो झोपड़े डाल रखें हैं
उन्हें भी खाली कर दें
फिर जहाँ चाहे वहां जाएँ.

आप आज़ाद हैं,
हमारी ज़िम्मेदारी ख़तम हुई
अब एक मिनट के लिए भी
आपका यहाँ ठहरना ठीक नहीं
महामहिम आने वाले हैं
विदेशी मेहमानों के साथ
आने वाली हैं अप्सराएँ
और अफ़सरान
पश्चिमी धुनों पर शुरू होने वाला है
उन्मादक नृत्य
जाम झलकने वाला है

भला यहाँ आपकी
क्या ज़रुरत हो सकती है
और वह आपको देखकर क्या सोचेंगे
गंदे कपडे,
धूल से सने शरीर
ठीक से बोलने और हाथ हिलाने
और सर झुकाने का भी शऊर नहीं
उनकी रुचि और उम्मीद को
कितना धक्का लगेगा
और हमारी कितनी तौहीन होगी

मान लिया कि इमारत की
ये शानदार बुलंदी हासिल करने में
आपने हड्डियाँ लगा दीं
खून पसीना एक कर दिया
लेकिन इसके एवज में
मज़दूरी दी जा चुकी है
अब आपको क्या चाहिए?


आप यहाँ ताल नहीं रहे हैं
आपके चेहरे के भाव भी बदल रहे हैं
शायद अपनी इस विशाल
और खूबसूरत रचना से
आपको मोह हो गया है
इसे छोड़कर जाने में दुःख हो रहा है
ऐसा हो सकता है
मगर इसका मतलब यह तो नहीं
कि आप जो कुछ भी अपने हाथ से
बनायेंगे,
वह सब आपका हो जायेगा
इस तरह तो ये सारी दुनिया
आपकी होती
फिर हम मालिक लोग कहाँ जाते

याद रखिये
मालिक मालिक होता है
मज़दूर मज़दूर
आपको काम करना है
हमे उसका फल भोगना है
आपको स्वर्ग बनाना है
हमे उसमें विहार करना है
अगर ऐसा सोचते हैं
कि आपको अपने काम का
पूरा फल मिलना चाहिए
तो हो सकता है

कि पिछले जन्म के आपके काम
अभावों के नरक में
ले जा रहे हों
विश्वास कीजिये
धर्म के सिवा कोई रास्ता नहीं
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

क्या आप यहाँ से जाना ही
नहीं चाहते ?
यहीं रहना चाहते हैं,
इस आलीशान इमारत में
इन गलीचों पर पांव रखना चाहते हैं
ओह ! ये तो लालच की हद है
सरासर अन्याय है
कानून और व्यवस्था पर
सीधा हमला है
दूसरों की मिलकियत पर
कब्ज़ा करने
और दुनिया को उलट-पुलट देने का
सबसे बुनियादी अपराध है
हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे

देखिये ये भाईचारे का मसला नहीं हैं
इंसानियत का भी नहीं
यह तो लड़ाई का
जीने या मरने का मसला है
हालाँकि हम ख़ून ख़राबा नहीं चाहते
हम अमन चैन
सुख-सुविधा पसंद करते हैं
लेकिन आप मजबूर करेंगे
तो हमे कानून का सहारा लेने पड़ेगा
पुलिस और ज़रुरत पड़ी तो
फ़ौज बुलानी होगी
हम कुचल देंगे
अपने हाथों गड़े
इस स्वर्ग में रहने की
आपकी इच्छा भी कुचल देंगे

वरना जाइए
टूटते जोड़ों, उजाड़ आँखों की
आँधियों, अंधेरों और सिसकियों की
मृत्यु गुलामी
और अभावों की अपनी
बे-दरोदीवार दुनिया में
चुपचाप
वापस
चले जाइए !

--- गोरख पाण्डेय

April 23, 2023

The Burning Of The Books

When the Regime
commanded the unlawful books to be burned,
teams of dull oxen hauled huge cartloads to the bonfires.

Then a banished writer, one of the best,
scanning the list of excommunicated texts,
became enraged: he'd been excluded!

He rushed to his desk, full of contemptuous wrath,
to write fierce letters to the morons in power —
Burn me! he wrote with his blazing pen —
Haven't I always reported the truth?
Now here you are, treating me like a liar!
Burn me!

---Bertolt Brecht
Translated by Michael R. Burch

April 14, 2023

ज़मींदार का रोपनी गीत

मुझे जन्म के ठीक बाद बताया गया
पूरे गाँव में कितनी औरतें हैं
कितनी झुकती है किसकी कमर
किसकी उँगली में है जादू
कौन कम मजूरी में ज़्यादा काम करती हैं
मुझे यह भी पता था कि अगले आषाढ़ में
किसकी लड़की धान लगाने वाली हो जाएगी
किसकी होगी शादी
किसे होगी क़र्ज़ की कितनी ज़रूरत
सब कुछ निर्भर था
धान के रक़बे पर
मुझे चावलों का स्वाद पता
उनका आकार पता
यहाँ तक कि जब वे थाली में जूठन की तरह छूट जाते थे
तब लगता था कि आसमान में तारे बिखरे हों
वे जो कनई में रोपती थीं
काला नमक और बासमती चावल
आधे पेट
नसीब नहीं हुई उन्हें
काला नमक और बासमती की ख़ुशबू
मुझे बचपन से ही मिली सिखावन
कैसे बुलाते हैं मजूर
सुबह कितने समय जाना है उन्हें हाँककर लाने
नहीं बैठना है उनकी चारपाई पर
क़ायम रखनी है शरीर और वाणी की अकड़
धान रोपती स्त्रियों को देखकर
मुझे सावन में गाए जाने वाले गीत नहीं
अपने पुरखों की मूँछें और गालियाँ याद आती हैं
जो मुझे सिखाई गईं
कैसे बुलाते हैं
धान रोपने वाली स्त्रियों को।

~ रमाशंकर सिंह

April 7, 2023

आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए

आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए

जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए

वो जान ही गए कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

हँसने का शौक़ हमको भी था आप की तरह
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हम से पूछिए

हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए

April 1, 2023

राजा ने आदेश दिया

राजा ने आदेश दिया : बोलना बन्द
क्योंकि लोग बोलते हैं तो राजा के विरुद्ध बोलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : लिखना बन्द
क्योंकि लोग लिखते हैं तो राजा के विरुद्ध लिखते हैं।

राजा ने आदेश दिया : चलना बन्द
क्योंकि लोग चलते हैं तो राजा के विरुद्ध चलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : हँसना बन्द
क्योंकि लोग हँसते हैं तो राजा के विरुद्ध हँसते हैं।

राजा ने आदेश दिया : होना बन्द
क्योंकि लोग होते हैं तो राजा के विरुद्ध होते हैं।

इस तरह राजा के आदेशों ने लोगों को
उनकी छोटी-छोटी क्रियाओं का महत्त्व बताया।

March 24, 2023

स्वर्ग की सराय

लाखों मारे गए, जबकि हर कोई निर्दोष था।
मैं अपने कमरे तक महदूद था। 

राष्ट्राध्यक्ष ने युद्ध का ऐसा बखान किया
जैसे हो कोई जादुई प्रेम-रस।
मेरी आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गई थीं।

आईने में मेरा चेहरा ऐसा लगा मुझे
गोया मैं कोई डाक टिकट हूँ
जिसे डाकख़ाने ने दो बार रद्द कर दिया हो।
मैं ठीक से रहा, लेकिन ज़िंदगी भयानक थी।
उस दिन कितने सारे सैनिक थे
और शरणार्थियों की अपार भीड़ थी सड़क पर।

ज़ाहिर है, वे सब मिटा दिए गए
उँगली की एक हरकत से।
इतिहास ने अपने मुँह के ख़ून लगे कोरों को धीरे से चाट लिया।

बिके हुए चैनल पर, एक आदमी और एक औरत
कामातुर चुम्बनों में लीन थे
और एक दूसरे के कपडे फाड़े जा रहे थे
जबकि मैं चुपचाप देखता जा रहा था
आवाज़ बंद कर—कमरे के अँधेरे में
बस स्क्रीन रह-रह चमक उठती थी
जहाँ बहुत ज़्यादा था सुर्ख़ लाल रंग
या ज़रूरत से ज़्यादा रंग गुलाबी।

- चार्ल्स सिमिक
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज

March 18, 2023

जवाब

जो कोई सवाल पूछता है उसे

रिवॉल्वर की पूरी छह गोली मारी जाती हैंः

पहली उसके दुस्साहस के लिए

दूसरी व्यक्तिगत राय रखने के लिए

तीसरी उसकी मौत के लिए

चौथी मौत की पुष्टि के लिए

पांचवीं अपनी घृणा के लिए

छठवीं राज्य के प्रति

निष्ठा के लिए 

---कुमार अंबुज

March 11, 2023

लब पे आती है दुआ

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िंदगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी!
दूर दुनिया का मिरे दम से अंधेरा हो जाए!
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए!
हो मिरे दम से यूं ही मेरे वतन की ज़ीनत

जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िंदगी हो मिरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म की शमा से हो मुझ को मोहब्बत या-रब
हो मिरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को
नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को

अल्लामा इक़बाल

March 5, 2023

How to Do Absolutely Nothing

Rent a house near the beach, or a cabin

but: Do not take your walking shoes.

Don’t take any clothes you’d wear

anyplace anyone would see you.

Don’t take your rechargeables.

Take Scrabble if you have to,

but not a dictionary and no

pencils for keeping score.

Don’t take a cookbook

or anything to cook.

A fishing pole, ok

but not the line,

hook, sinker,

leave it all.

Find out

what’s

left.

--- Barbara Kingsolver

February 26, 2023

The City

You said: “I’ll go to another country, go to another shore,
find another city better than this one.
Whatever I try to do is fated to turn out wrong
and my heart lies buried like something dead.
How long can I let my mind moulder in this place?
Wherever I turn, wherever I look,
I see the black ruins of my life, here,
where I’ve spent so many years, wasted them, destroyed them totally.”

You won’t find a new country, won’t find another shore.
This city will always pursue you.
You’ll walk the same streets, grow old
in the same neighborhoods, turn gray in these same houses.
You’ll always end up in this city. Don’t hope for things elsewhere:
there’s no ship for you, there’s no road.
Now that you’ve wasted your life here, in this small corner,
you’ve destroyed it everywhere in the world.

---  C P Cavafy (Translated by Edmund Keeley)

February 14, 2023

THE TRUE LOVE

There is a faith in loving fiercely
the one who is rightfully yours,
especially if you have
waited years and especially
if part of you never believed
you could deserve this
loved and beckoning hand
held out to you this way.

I am thinking of faith now
and the testaments of loneliness
and what we feel we are
worthy of in this world.

Years ago in the Hebrides,
I remember an old man
who walked every morning
on the grey stones
to the shore of baying seals,
who would press his hat
to his chest in the blustering
salt wind and say his prayer
to the turbulent Jesus
hidden in the water,

and I think of the story
of the storm and everyone
waking and seeing
the distant
yet familiar figure
far across the water
calling to them

and how we are all
preparing for that
abrupt waking,
and that calling,
and that moment
we have to say yes,
except it will
not come so grandly
so Biblically
but more subtly
and intimately in the face
of the one you know
you have to love

so that when
we finally step out of the boat
toward them, we find
everything holds
us, and everything confirms
our courage, and if you wanted
to drown you could,
but you don’t
because finally
after all this struggle
and all these years
you simply don’t want to
any more
you’ve simply had enough
of drowning
and you want to live and you
want to love and you will
walk across any territory
and any darkness
however fluid and however
dangerous to take the
one hand you know
belongs in yours.

---David Whyte

February 8, 2023

15 बेहतरीन शेर - 6 !!!

1. आख़िर गिल अपनी सर्फ़ दरे-मैकदा हुई, पहुँची वहीं पे ख़ाक जहाँ का ख़मीर था। ~मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार

2. बात मुक़द्दर की है सारी, वक़्त का लिखा मारता है, कुछ सजदों में मर जाते हैं, कुछ को सजदा मारता है - अली जरयून

3. काबे में मुसलमाँ को कह देते हैं काफिर, बुतखाने में काफिर को काफिर नहीं कहते - बिस्मिल सईदी

4. ग़ुरूरे वक्त तुझको बात इतनी कौन समझाये, वो सर झुक ही नहीं सकता जिसे कट जाना आता है। ~वसीम बरेलवी

5. ख़ुद से जो राब्ता नहीं करते, ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते ! तुमको मालूम क्या है आज़ादी, तुम परिंदे रिहा नहीं करते - शाहरुख़ अबीर

6. गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़, काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी

7. आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो, जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने 'फ़िराक़' को देखा है| - फ़िराक़ गोरखपुरी

8. हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब, ढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने ~मेराज फ़ैज़ाबादी

9. बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा, बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा ~इस्माइल मेरठी

10. ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के, हमारे दिल कबाब और तू पिए प्याले रक़ीबों के ~ वली उज़लत

11. ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है - अज़हर इनायती

12. मेरी हवाओं में रहेगी, ख़्यालों की बिजली, यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे, न रहे...!!! - भगत सिंह

13. मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया, कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया...!!! - नामालूम

14. क्या हमारा मुंह उजाला हो गया, साया भी जल जल के काल हो गया - ज़हीर रहमती

15. चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी - बशीर बद्र

February 2, 2023

डायन और बुद्ध

कुछ औरतें,
अपने पतियों,
और बच्चों को सोते हुए,
अकेला छोड़ चली गईं,
ऐसी औरतें,
डायन हो गईं,

कुछ पुरुष,
अपने बच्चों और बीवियों,
को सोते हुए,
अकेला छोड़ चले गए,
ऐसे पुरुष,
बुद्ध हो गए,
कहानियों में,

डायनों के हिस्से आएं,
उल्टे पैर,
और बच्चे खा जाने वाले,
लंबे, नुकीले दांत,
और बुद्ध के,
हिस्से आया,
त्याग, प्रेम,
दया, देश,
और ईश्वर हो जाना।

--- आलोक आज़ाद

January 26, 2023

Democracy Poem #1

Tell them that I stood
in line
and I waited
and I waited
like everybody
else

But I never got
called
And I keep that scrap
of paper
in my pocket

just in case

--- June Jordan

January 23, 2023

क्या गजब का देश है

क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।
बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है।
आँख में दरिया है सबके
दिल में है सबके पहाड़
आदमी भूगोल है जी चाहा नक्शा पेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

हैं सभी माहिर उगाने
में हथेली पर फसल
औ हथेली डोलती दर-दर बनी दरवेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

पेड़ हो या आदमी
कोई फरक पड़ता नहीं
लाख काटे जाइए जंगल हमेशा शेष हैं।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

--- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

January 14, 2023

एक दिन शिनाख़्त

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हम क्या कर रहे थे?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी नींद कितनी गहरी थी?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आवाज़ कौन छीनकर ले गया?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आँखों को एकाएक क्या हुआ?

एक दिन
हमारी नब्ज़
टटोली जाएगी

एक दिन
क़तार में खड़े
हम
अपनी अपनी सज़ा का
इंतेज़ार कर रहे होंगे

January 7, 2023

सूअर का बच्चा

बारिश जमकर हुई, धुल गया सूअर का बच्चा
धुल-पुँछकर अँगरेज़ बन गया सूअर का बच्चा।

चित्रलिखी हकबकी गाय, झेलती रही बौछारें
फिर भी कूल्हों पर गोबर की झाँई छपी हुई है
कुत्ता तो घुस गया अधबने उस मकान के भीतर
जिसमें पड़ना फ़र्श, पलस्तर होना सब बाक़ी है।

चीनी मिल के आगे डीज़ल मिले हुए कीचड़ में
रपट गया है लिए-दिए इक्का गर्दन पर घोड़ा
लिथड़ा पड़ा चलाता टाँगें आँखों में भर आँसू
दौड़े लोग मदद को, मिस्त्री-रिक्शे-ताँगेवाले।

राजमार्ग है यह, ट्राफ़िक चलता चौबीसों घंटे
थोड़ी-सी भी बाधा से बेहद बवाल होता है।
लगभग बंद हुआ पानी पर टपक रहे हैं खोखे
परेशान हैं ख़ास तौर पर चाय-पकौड़े वाले,
या बीड़ी माचिस वाले।

पोलीथिन से ढाँप कटोरी लौट रही घर रज्जो
अम्मा के आने से पहले चूल्हा तो धौंका ले
रखे छौंक तरकारी।

पहले-पहल दृश्य दीखते हैं इतने अलबेले
आँखों ने पहले-पहले अपनी उजास देखी है
ठंडक पहुँची सीझ हृदय में अद्भुत मोद भरा है
इससे इतनी अकड़ भरा है सूअर का बच्चा।

--- वीरेन डंगवाल

January 1, 2023

तुम सवालो से भरे हो...

तुम सवालो से भरे हो
क्या तुम्हें मालूम है

भीड़ से कुछ पूछने भी
जानलेवा जुर्म है

तफशीष करने आये हो
खुल कर लो शौक से

फर्क पड़ता है कहा है
एक दो की मौत से

चार दिन चर्चा उठेगी
डेमोक्रेसी लाएंगे

पांचवे दिन सब काम पे
लग जाएंगे

काम से ही काम रखना
हा मगर ये याद रखना

कोई पूछे कौन थे
बस तुम्हे इतना ही कहना

भीड़ थी कुछ लोग थे

फिर भी कोई ज़िद पकड़ले
क्या हुआ किसने किया

सोच के उंगली उठाना
कट रही है उंगलियां

बात को कुछ यूं घूमना

नफरतो के रोग थे
धर्म न जात उनके

भीड़ थी
कुछ लोग थे

--- नवीन चौरे

December 25, 2022

Potli Baba Ki (पोटली बाबा की) (Old Doordarshan Serial Title Song)

आया... रे बाबा आया...

घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
हे.. आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...

पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
हे..आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...

December 20, 2022

हाथी

पकड़े जाने से पहले हर रोज़ हाथी
नदी पर आता है अपने दोस्त हाथियों के साथ
कसरत करता है
भरपूर पानी में अपने बदन को प्यार करता है
अपने दाँतों को बालू में धँसा-धँसा कर माँजता है।

पकड़े जाने के बाद
हाथी के बदन, ताक़त और
उन दाँतों का इस्तेमाल मालिक करते है
जिन्हें हाथी ने बनाया था
बहुत मेहनत और प्यार के साथ
पकड़े जाने से पहले।

December 16, 2022

मेरा धन है स्वाधीन क़लम

राजा बैठे सिंहासन पर,
यह ताजों पर आसीन क़लम

मेरा धन है स्वाधीन क़लम
जिसने तलवार शिवा को दी
रोशनी उधार दिवा को दी
पतवार थमा दी लहरों को
खंजर की धार हवा को दी
अग-जग के उसी विधाता ने, 
कर दी मेरे आधीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

रस-गंगा लहरा देती है
मस्ती-ध्वज फहरा देती है
चालीस करोड़ों की भोली
किस्मत पर पहरा देती है
संग्राम-क्रांति का बिगुल यही है, 
यही प्यार की बीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

कोई जनता को क्या लूटे
कोई दुखियों पर क्या टूटे
कोई भी लाख प्रचार करे
सच्चा बनकर झूठे-झूठे
अनमोल सत्य का रत्‍नहार, 
लाती चोरों से छीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

बस मेरे पास हृदय-भर है
यह भी जग को न्योछावर है
लिखता हूँ तो मेरे आगे
सारा ब्रह्मांड विषय-भर है
रँगती चलती संसार-पटी, 
यह सपनों की रंगीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन कलम

लिखता हूँ अपनी मर्ज़ी से
बचता हूँ कैंची-दर्ज़ी से
आदत न रही कुछ लिखने की
निंदा-वंदन खुदगर्ज़ी से
कोई छेड़े तो तन जाती, बन जाती है संगीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

तुझ-सा लहरों में बह लेता
तो मैं भी सत्ता गह लेता
ईमान बेचता चलता तो
मैं भी महलों में रह लेता
हर दिल पर झुकती चली मगर, 
आँसू वाली नमकीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम 

December 11, 2022

Reading books

Reading books
you're there inside me

Hearing songs
you're inside me

Eating my bread
you're sitting before me

Or at my work
you're before me.

You're my "silent partner"
everywhere.

Although we cannot speak
Although we cannot hear
each other's voices.
You're my widow of eight years.

--- Nâzım Hikmet

December 6, 2022

Fascism: I sometimes fear...

I sometimes fear that
people think that fascism arrives in fancy dress
worn by grotesques and monsters
as played out in endless re-runs of the Nazis.

Fascism arrives as your friend.
It will restore your honour,
make you feel proud,
protect your house,
give you a job,
clean up the neighbourhood,
remind you of how great you once were,
clear out the venal and the corrupt,
remove anything you feel is unlike you...


It doesn't walk in saying,
"Our programme means militias, mass imprisonments, transportations, war and persecution.”

- Michael Rosen,

November 30, 2022

जाति के लिए

ईश्वर सिंह के उपन्यास पर
राजधानी में गोष्ठी हुई
कहते हैं कि बोलने वालों में
उपन्यास के समर्थक सब सिंह थे
और विरोधी ब्राह्मण

सुबह उठा तो
अख़बार के मुखपृष्ठ पर
विज्ञापन था :
अमर सिंह को बचाएँ’
और यह अपील करने वाले
सांसद और विधायक क्षत्रिय थे
मैं समझ नहीं पाया
अमर सिंह एक मनुष्य हैं
तो उन्हें क्षत्रिय ही क्यों बचाएँगे?

दुपहर में
एक पत्रिका ख़रीद लाया
उसमें कायस्थ महासभा के
भव्य सम्मेलन की ख़बर थी
देश के विकास में
कायस्थों के योगदान का ब्योरा
और आरक्षण की माँग
मुझे लगा
योगदान करने वालों की
जाति मालूम करो
और फिर लड़ो
उनके लिए नहीं
जाति के लिए

शाम को मैं मशहूर कथाकार
गिरिराज किशोर के घर गया
मैंने पूछा : देश का क्या होगा?
उन्होंने कहा : देश का अब
कुछ नहीं हो सकता
फिर वह बोले : अभी
वैश्य महासभा वाले आए थे
कह रहे थे—आप हमारे
सम्मेलन में चलिए

--- पंकज चतुर्वेदी

November 24, 2022

सबसे सुन्दर समुद्र

The loveliest seais the sea not yet traveled

The loveliest child

is the child not yet born

Our loveliest days

are those we have not yet lived through.

And the loveliest word I would say to you

is the word that I have not yet said.


सबसे सुन्दर समुद्र

अभी तक पार नहीं किया गया

सबसे सुन्दर बच्चा

अभी तक बड़ा नहीं हुआ

हमारे सबसे सुन्दर दिन

हमने अभी तक देखे नहीं

जो सबसे सुन्दर शब्द तुमसे कहना चाहता था

अभी तक कहे नहीं।

अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

November 20, 2022

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है (Guchhe) (Old Doordarshan Serial Title Song)

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो..

बिन दांतों की दादी अम्मा, बिन दांतों की दादी अम्मा |
दो पटनों की नानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो..

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो...

भारी भरकम एक कहानी |
भारी भरकम एक कहानी |
केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |
भारी भरकम एक कहानी, केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |

खट्टी हो तो नमक लगा के, खट्टी हो तो नमक लगा के
गले में अटके पानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो... |