Jul 20, 2011

Proofs

Death will not correct
a single line of verse
she is no proof-reader
she is no sympathetic
lady editor

a bad metaphor is immortal

a shoddy poet who has died
is a shoddy dead poet

a bore bores after death
a fool keeps up his foolish chatter
from beyond the grave

--- Tadeusz Rozewicz

(Translated by Adam Czerniawski;)

Jul 16, 2011

मन बहुत सोचता है

मन बहुत सोचता है कि उदास न हो
पर उदासी के बिना रहा कैसे जाय?

शहर के दूर के तनाव-दबाव कोई सह भी ले,
पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव सहा कैसे जाय!

नील आकाश, तैरते-से-मेघ के टुकड़े,
खुली घासों में दौड़ती मेघ-छायाएँ,
पहाड़ी नदी : पारदर्शी पानी,
धूप-धुले तल के रंगारंग पत्थर,
सब देख बहुत गहरे कहीं जो उठे,
वह कहूँ भी तो सुनने को कोई पास न हो-
इसी पर जो जी में उठे वह कहा कैसे जाय!

मन बहुत सोचता है कि उदास न हो, न हो,
पर उदासी के बिना रहा कैसे जाय!

--- अज्ञेय

Jul 10, 2011

बहुत पहले से ...

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं

मेरी नज़रें भी ऐसे काफिरों कि जानो-ईमान हैं
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं

जिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाये नादानी
उसे किन कीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं

निगाहें बादागूं यूँ तो तेरी बातों का क्या कहना
तेरी हर बात लेकिन अह्तियातन छान लेते हैं

तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं

खुद अपना फैसला भी इश्क में काफी नहीं होता
उसे भी कैसे कर गुजरें जो दिल में ठान लेते हैं

हयाते इश्क का इक इक नफास जामे शहादत है
वो जाने-नाज़ बर दारां कोई आसन लेते हैं

हम आहंगी में भी इक चाशनी है इख्तिलाफों की
मेरी बातें बउन्वाने दीगर वो मान लेते हैं

तेरी मकबूलियत कि वजह वाहिद तेरी राम्ज़ियत
कि उस को मानते कब हैं जिसको जान लेते हैं

अब इस को कुफ्र मानें या बुलंदी-ए-नज़र जानें
खुदा-ए-दोजहां को दे के हम इंसान लेते हैं

जिसे सूरत बताते हैं पता देती है सीरत का
इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं

तुझे घाटा न होने देंगे कारोबारे उल्फत में
हम अपने सर तेरा ऐ दोस्त हर नुक्सान लेते हैं

हमारी हर नज़र तुझसे नई सौगंध खाती है
तो तेरी हर नज़र से हम नया पैमान लेते हैं

रफ़ीके ज़िन्दगी थी अब अनीसे वक्ते-आखिर है
तेरा ऐ मौत हम ये दूसरा एहसान लेते हैं

ज़माना वारिदाते-कल्ब सुनने को तरसता है
उसी से तो सर आँखों पर मेरा दीवान लेते हैं

फ़िराक अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफिर
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं.

---फ़िराक़ गोरखपुरी

Jul 1, 2011

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता

अपना दिल भी टटोल कर देखो
फासला बेवजह नही होता

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता

गुफ़्तगू उनसे रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता.

--बशीर बद्र

रोने से और इशक़ में बेबाक हो गए

रोने से और इशक़ में बेबाक हो गए
धोये गए हम ऐसे हे बस पाक हो गए

कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बेअसर
पर्दे में गुल के लाख जिगर चाक हो गए

पूछे है क्या वजूदो-अदम अहले-शौक का
आप अपनी आग से खसो-ख़ाशाक हो गए

करने गए थे उससे तगाफुल का हम गिला
की एक ही निगाह की बस ख़ाक हो गए

इस रंग से उठायी कल उसने 'असद' की लाश
दुश्मन भी जिसको देख के गमनाक हो गए

---'असद'


Glossary:
नाला-ए-बुलबुल : sound of bulbul
चाक : break
वजूदो-अदम अहले-शौक : why you ask about the life and death of a lover
खसो-ख़ाशाक : trash
तगाफुल : negligence