Dec 31, 2025

UP Board Hindi Book "महान व्यक्तित्व" (पूर्व नाम – हमारे पूर्वज) के प्रेरक दोहे

1. चढ़ै टरै सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार। पै दृढ़ हरिचंद को, टरै न सत्य विचार।।

2. नौ लख पातर आगे नाचै, पीछे सहज अखाड़ा।  ऐसो मन लै जोगी खेलै तव अंतर बसै भंडारा।।   गोरखनाथ

3. गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारै केस। चल खुसरो घर आपल्या, साँझ भई चहुँ देस।। – अमीर खुसरो

4. परहित सरिस धरम नहि भाई। पर पीड़ा सम नहि अधमाई।। – तुलसीदास

5. सुरतिय, नरतिय, नागतिय, यह चाहत सब कोय। गोद लिए लली फिरै, तुलसी सो सुत होय।। – तुलसीदास

6. हे री! मैं तो प्रेम दिवानी, मेरो दरद न जाने कोय।  सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण कोन विध होय।। – मीराबाई

7. मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।-  मीराबाई

8. चकित में रहिमन रहै, रहिमन जब पर विपदा पड़े। अवध नरेस वह आवत यह देस।। – रहीम

9. जो गरीब सहत कर, कहाँ सुदामा‑धन रहीम? वे बापुरे लोग, कृष्ण मथाई जोग। – रहीम

10. कबिरा हर के ठाठ ते, गु के सरन न जाइ। गु के ठाठ नित नवें, हर ठाढ़ रहें सहाइ॥ - कबीरदास

11. निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।  बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥ -  कबीरदास

12. आजु जो हरिहि नहिं दुःख गहाऊँ, तौ लाज गंगा जननी को; शान्तनु सुत न कहाऊँ। -भीष्म प्रतिज्ञा

13. भला भयो विधि ना धियो शेषनाग के कान धरा मेरु सब डोलते तानसेन की तान ।

14. विद्या बिना मति गई, मति बिना गति गई, गति बिना नीति गई, नीति बिना वित्त गया, वित्त बिना शूद्र खचले।

15. अब न अहले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़। एक मिट जाने की हसरत अब दिल-ए-बिस्मिल में है ।

16. कुछ आरजू नहीं है, है आरजू तो यह। रख दे कोई ज़रा सी ख़ाक़े वतन कफ़न में।

हमारे पूर्वज" (Hamare Purvaj) नाम की किताबें यूपी बोर्ड में पहले पढ़ाई जाती थीं, खासकर जूनियर कक्षाओं (जैसे कक्षा 6 - 8) में, लेकिन अब ये किताबों के नाम बदल गए हैं या इनका पाठ्यक्रम बदल गया है, और अब ये किताबें 'महान व्यक्तित्व' (Mahan Vyaktitva) जैसे नामों से या अन्य विषयों के तहत मिल सकती हैं, जो शुरुआती भारतीय इतिहास और पूर्वजों के बारे में जानकारी देती हैं

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