24 नवंबर 2021

'करियर का चुनाव'

मैं कभी साधारण बैंक कर्मचारी नहीं बन सकता था खाने-पीने के सामानों का सेल्समैन भी नहीं
किसी पार्टी का मुखिया भी नहीं
न ही टैक्सी ड्राइवर
प्रचार में लगा मार्केटिंग वाला भी नहीं

मैं बस इतना चाहता था
कि शहर की सबसे ऊँची जगह पर खड़ा होकर
नीचे ठसाठस इमारतों के बीच उस औरत का घर देखूँ
जिससे मैं प्यार करता हूँ
इसलिए मैं बाँधकाम मज़दूर बन गया।

अनुवाद - गीत चतुर्वेदी
साभार- कविताकोश

18 नवंबर 2021

I am happy living simply

I am happy living simply:
like a clock, or a calendar.
Worldly pilgrim, thin,
wise—as any creature. To know

the spirit is my beloved. To come to things—swift
as a ray of light, or a look.
To live as I write: spare—the way
God asks me—and friends do not.

--- Marina Tsvetaeva

14 नवंबर 2021

Sidewalk Ends

There is a place where the sidewalk ends
and before the street begins,
and there the grass grows soft and white,
and there the sun burns crimson bright,
and there the moon-bird rests from his flight
to cool in the peppermint wind.

Let us leave this place where the smoke blows black
and the dark street winds and bends.
Past the pits where the asphalt flowers grow
we shall walk with a walk that is measured and slow
and watch where the chalk-white arrows go
to the place where the sidewalk ends.

Yes we'll walk with a walk that is measured and slow,
and we'll go where the chalk-white arrows go,
for the children, they mark, and the children, they know,
the place where the sidewalk ends.

--- Shel Silverstein

10 नवंबर 2021

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा

तारीख़-ए-कर्बला-ए-सुख़न! देखना कि मैं
ख़ून-ए-जिगर से लिख के वरक़ छोड़ जाऊँगा

इक रौशनी की मौत मरूँगा ज़मीन पर
जीने का इस जहान में हक़ छोड़ जाऊँगा

रोएँगे मेरी याद में महर ओ मह ओ नुजूम
इन आइनों में अक्स-ए-क़लक़ छोड़ जाऊँगा

वो ओस के दरख़्त लगाऊँगा जा-ब-जा
हर बूँद में लहू की रमक़ छोड़ जाऊँगा

गुज़रूँगा शहर-ए-संग से जब आइना लिए
चेहरे खुले दरीचों में फ़क़ छोड़ जाऊँगा

पहुँचूँगा सेहन-ए-बाग़ में शबनम-रुतों के साथ
सूखे हुए गुलों में अरक़ छोड़ जाऊँगा

हर-सू लगेंगे मुझ से सदाक़त के इश्तिहार
हर-सू मोहब्बतों के सबक़ छोड़ जाऊँगा

'साजिद' गुलाब-चाल चलूँगा रविश रविश
धरती पे गुल्सितान-ए-शफ़क़ छोड़ जाऊँगा

---इक़बाल साजिद

3 नवंबर 2021

शोषक भैया

डरो मत शोषक भैया: पी लो
मेरा रक्त ताज़ा है, मीठा है हृद्य है 
पी लो  शोषक भैया: डरो मत। 

 शायद तुम्हें पचे नहीं-- अपना मेदा तुम देखो, मेरा क्या दोष है। 
 मेरा रक्त मीठा तो है, पर पतला या हल्का भी हो 
 इसका ज़िम्मा तो मैं नहीं ले सकता, शोषक भैया? 
 जैसे कि सागर की लहर सुन्दर हो, यह तो ठीक, 
 पर यह आश्वासन तो नहीं दे सकती कि किनारे को लील नहीं लेगी 

 डरो मत शोषक भैय: मेरा रक्त ताज़ा है, 
 मेरी लहर भी ताज़ा और शक्तिशाली है।
 ताज़ा, जैसी भट्ठी में ढलते गए इस्पात की धार, 
 शक्तिशाली, जैसे तिसूल: और पानीदार। 
 पी लो, शोषक भैया: डरो मत। 

 मुझ से क्या डरना? 
 वह मैं नहीं, वह तो तुम्हारा-मेरा सम्बन्ध है जो तुम्हारा काल है
 शोषक भैया! 

30 अक्टूबर 2021

“Al Midan”

Dark Egyptian hands that know how to characterize

Reach out through the roar to destroy the frames

The creative youth came out and turned autumn into spring

They have performed the miracle and raised the murdered from murder

Kill me, killing me will not bring back your country

In my blood I shall write a new life for my home

My blood is it or the spring? Both in green color

Am I smiling because of my happiness or my sorrows?

--- Abdel Rahman al-Abnoudi

26 अक्टूबर 2021

For My Young Friends Who Are Afraid

There is a country to cross you will
find in the corner of your eye, in
the quick slip of your foot--air far
down, a snap that might have caught.
And maybe for you, for me, a high, passing
voice that finds its way by being
afraid. That country is there, for us,
carried as it is crossed. What you fear
will not go away: it will take you into
yourself and bless you and keep you.
That's the world, and we all live there.

---William Stafford