June 20, 2023

Of Human Knowledge

If aught can teach us aught, Affliction’s looks,
Making us look into ourselves so near,
Teach us to know ourselves beyond all books,
Or all the learned schools that ever were.

This mistress lately plucked me by the ear,
And many a golden lesson hath me taught;
Hath made my senses quick, and reason clear,
Reformed my will and rectified my thought.

So do the winds and thunders cleanse the air;
So working lees settle and purge the wine;
So lopped and pruned trees do flourish fair;
So doth the fire the drossy gold refine.

Neither Minerva nor the learned Muse
Nor rules of art, nor precepts of the wise,
Could in my brain those beams of skill infuse,
As but the glance of this dame’s angry eyes.

She within lists my ranging mind hath brought,
That now beyond myself I list not go;
Myself am centre of my circling thought,
Only myself I study, learn, and know.

I know my body’s of so frail a kind
As force without, fevers within, can kill;
I know the heavenly nature of my mind,
But ’tis corrupted both in wit and will;

I know my soul hath power to know all things,
Yet is she blind and ignorant in all;
I know I am one of nature’s little kings,
Yet to the least and vilest things am thrall.

I know my life’s a pain and but a span,
I know my sense is mocked with everything;
And to conclude, I know myself a man,
Which is a proud, and yet a wretched thing.

---  Sir John Davies (1569-1626)

Notes: Minerva - Roman Goddess of Wisdom ( The learned Muse - probably Clio, the Muse of History and founder of historical and heroic poetry.)

June 13, 2023

15 बेहतरीन शेर - 7 !!!

1. जनाबे शेख़ का फ़लसफ़ा, है अजीब सारे जहान से, जो वहाँ पियो तो हलाल है, जो यहाँ पियो तो हराम है - जिगर मुरादाबादी

2. दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे. जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों ... बशीर बद्र

3. देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब 'फ़िराक़', कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़ - फ़िराक़ गोरखपुरी

4. "पलकों पे कच्ची नींदों का रस फैलता हो जब, ऐसे में आँख धूप के रुख़ कैसे खोलिए" -परवीन शाकिर

5. इल्म में झिंगुर से बढ़ कर कामरां कोई नहीं, चाट जाता है किताबें, इम्तिहां कोई नहीं...!!! - ज़रीफ़ लखनवी

6. वक़्त करता है परवरिश बरसों, हादिसा एक दम नहीं होता - क़ाबिल अजमेरी

7. हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन , ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक --- मिर्ज़ा ग़ालिब

8. जनाज़ा रोक कर मेरा वो इस अंदाज़ से बोले, गली हम ने कही थी तुम तो दुनिया छोड़े जाते हो ~ सफ़ी लखनवी

9. क़सम जनाज़े पे आने की मेरे खाते हैं ग़ालिब, हमेशा खाते थे जो मेरी जान की क़सम आगे - ग़ालिब

10. वो गलियाँ याद आती हैं जवानी जिन में खोई बड़ी हसरत से लब पर ज़िक्र ए गोरखपुर आता है - रियाज़ ख़ैराबादी

11. बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना. आदमी को भी मय्यसर नहीं इंसां होना - ग़ालिब.

12. पेट के तक़ाज़ों ने कर दिया है नाबीना, दाना याद रहता है, दाम भूल जाता हूं ...!!! - क़तील शिफ़ाई

13. कोई जन्नत का तालिब है, कोई ग़म से परेशां है, ज़रूरत करवाती है सजदे, वर्ना इबादत यहां कौन करता है - महशर आबिदी

14. तैयार थे नमाज़ पे, हम सुन के ज़िक्र-ए-हूर, जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गई ! - अकबर इलाहाबादी

15. “मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस, ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं” - जौन एलिया

June 2, 2023

War Poetry

write me

a poem

in which

all birds

are prisoners

of love

and the only bloody war

is between

my fingers

and the thorns

of the rose

i’m offering

to my beloved

---Nooshin Azadi

May 23, 2023

One Art

The art of losing isn’t hard to master;
so many things seem filled with the intent
to be lost that their loss is no disaster.

Lose something every day. Accept the fluster
of lost door keys, the hour badly spent.
The art of losing isn’t hard to master.

Then practice losing farther, losing faster:
places, and names, and where it was you meant
to travel. None of these will bring disaster.

I lost my mother’s watch. And look! my last, or
next-to-last, of three loved houses went.
The art of losing isn’t hard to master.

I lost two cities, lovely ones. And, vaster,
some realms I owned, two rivers, a continent.
I miss them, but it wasn’t a disaster.

—Even losing you (the joking voice, a gesture
I love) I shan’t have lied. It’s evident
the art of losing’s not too hard to master
though it may look like (Write it!) like disaster.

--- Elizabeth Bishop

May 11, 2023

If I Had Three Lives

If I had three lives, 
I'd marry you in two.
And the other? 
That life over there at Starbucks, 
sitting alone, writing -- a memoir,
maybe a novel or this poem. 

No kids, probably,
a small apartment with a view of the river,
and books -- lots of books and time to read.
Friends to laugh with; 
a man sometimes,
for a weekend, 
to remember what skin feels like when it's alive. 

 I'm thinner in that life, vegan, practice yoga. 
 I go to art films, farmers markets,
drink martinis in swingy skirts and big jewelry.
I vacation on the Maine coast 
and wear a flannel shirt
weekend guy left behind, 
loving the smell of sweat
and aftershave more than I do him. 
I walk the beach at sunrise, 
find perfect shell spirals
and study pockmarks water makes in sand. 
And I wonder sometimes if I'll ever find you.

---Sarah Russell

May 1, 2023

स्वर्ग से बिदाई

भाईयों और बहनों !
अब ये आलीशान इमारत
बन कर तैयार हो गयी है
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

अपनी भरपूर ताक़त लगाकर
आपने ज़मीन काटी
गहरी नींव डाली,
मिट्टी के नीचे दब भी गए
आपके कई साथी
मगर आपने हिम्मत से काम लिया
पत्थर और इरादे से,
संकल्प और लोहे से,
बालू, कल्पना और सीमेंट से,
ईंट दर ईंट आपने
अटूट बुलंदी की दीवार खड़ी की
छत ऐसी कि हाथ बढ़ाकर,
आसमान छुआ जा सके,
बादलों से बात की जा सके
खिड़कियाँ क्षितिज की थाह लेने वाली,
आँखों जैसी,
दरवाज़े, शानदार स्वागत !
अपने घुटनों और बाजुओं और
बरौनियों के बल पर
सैकड़ों साल टिकी रहने वाली
यह जीती-जागती ईमारत तैयार की


अब आपने हरा भरा लान
फूलों का बाग़ीचा
झरना और ताल भी बना दिया है
कमरे कमरे में गलीचा
और क़दम क़दम पर
रंग-बिरंगी रौशनी फैला दी है

गर्मी में ठंडक और ठंड में
गुनगुनी गर्मी का इंतज़ाम कर दिया है
संगीत और नृत्य के
साज़ सामान
सही जगह पर रख दिए हैं
अलगनियां प्यालियाँ
गिलास और बोतलें
सज़ा दी हैं


कम शब्दों में कहें तो
सुख सुविधा और आज़ादी का
एक सुरक्षित इलाका
एक झिलमिलाता स्वर्ग
रच दिया है

इस मेहनत
और इस लगन के लिए
आपका बहुत धन्यवाद
अब आप यहाँ से जा सकते हैं
यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ
जहाँ चाहे वहां जाएँ
फिलहाल उधर अँधेरे में
कटी ज़मीन पर
जो झोपड़े डाल रखें हैं
उन्हें भी खाली कर दें
फिर जहाँ चाहे वहां जाएँ.

आप आज़ाद हैं,
हमारी ज़िम्मेदारी ख़तम हुई
अब एक मिनट के लिए भी
आपका यहाँ ठहरना ठीक नहीं
महामहिम आने वाले हैं
विदेशी मेहमानों के साथ
आने वाली हैं अप्सराएँ
और अफ़सरान
पश्चिमी धुनों पर शुरू होने वाला है
उन्मादक नृत्य
जाम झलकने वाला है

भला यहाँ आपकी
क्या ज़रुरत हो सकती है
और वह आपको देखकर क्या सोचेंगे
गंदे कपडे,
धूल से सने शरीर
ठीक से बोलने और हाथ हिलाने
और सर झुकाने का भी शऊर नहीं
उनकी रुचि और उम्मीद को
कितना धक्का लगेगा
और हमारी कितनी तौहीन होगी

मान लिया कि इमारत की
ये शानदार बुलंदी हासिल करने में
आपने हड्डियाँ लगा दीं
खून पसीना एक कर दिया
लेकिन इसके एवज में
मज़दूरी दी जा चुकी है
अब आपको क्या चाहिए?


आप यहाँ ताल नहीं रहे हैं
आपके चेहरे के भाव भी बदल रहे हैं
शायद अपनी इस विशाल
और खूबसूरत रचना से
आपको मोह हो गया है
इसे छोड़कर जाने में दुःख हो रहा है
ऐसा हो सकता है
मगर इसका मतलब यह तो नहीं
कि आप जो कुछ भी अपने हाथ से
बनायेंगे,
वह सब आपका हो जायेगा
इस तरह तो ये सारी दुनिया
आपकी होती
फिर हम मालिक लोग कहाँ जाते

याद रखिये
मालिक मालिक होता है
मज़दूर मज़दूर
आपको काम करना है
हमे उसका फल भोगना है
आपको स्वर्ग बनाना है
हमे उसमें विहार करना है
अगर ऐसा सोचते हैं
कि आपको अपने काम का
पूरा फल मिलना चाहिए
तो हो सकता है

कि पिछले जन्म के आपके काम
अभावों के नरक में
ले जा रहे हों
विश्वास कीजिये
धर्म के सिवा कोई रास्ता नहीं
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

क्या आप यहाँ से जाना ही
नहीं चाहते ?
यहीं रहना चाहते हैं,
इस आलीशान इमारत में
इन गलीचों पर पांव रखना चाहते हैं
ओह ! ये तो लालच की हद है
सरासर अन्याय है
कानून और व्यवस्था पर
सीधा हमला है
दूसरों की मिलकियत पर
कब्ज़ा करने
और दुनिया को उलट-पुलट देने का
सबसे बुनियादी अपराध है
हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे

देखिये ये भाईचारे का मसला नहीं हैं
इंसानियत का भी नहीं
यह तो लड़ाई का
जीने या मरने का मसला है
हालाँकि हम ख़ून ख़राबा नहीं चाहते
हम अमन चैन
सुख-सुविधा पसंद करते हैं
लेकिन आप मजबूर करेंगे
तो हमे कानून का सहारा लेने पड़ेगा
पुलिस और ज़रुरत पड़ी तो
फ़ौज बुलानी होगी
हम कुचल देंगे
अपने हाथों गड़े
इस स्वर्ग में रहने की
आपकी इच्छा भी कुचल देंगे

वरना जाइए
टूटते जोड़ों, उजाड़ आँखों की
आँधियों, अंधेरों और सिसकियों की
मृत्यु गुलामी
और अभावों की अपनी
बे-दरोदीवार दुनिया में
चुपचाप
वापस
चले जाइए !

--- गोरख पाण्डेय

April 23, 2023

The Burning Of The Books

When the Regime
commanded the unlawful books to be burned,
teams of dull oxen hauled huge cartloads to the bonfires.

Then a banished writer, one of the best,
scanning the list of excommunicated texts,
became enraged: he'd been excluded!

He rushed to his desk, full of contemptuous wrath,
to write fierce letters to the morons in power —
Burn me! he wrote with his blazing pen —
Haven't I always reported the truth?
Now here you are, treating me like a liar!
Burn me!

---Bertolt Brecht
Translated by Michael R. Burch

April 14, 2023

ज़मींदार का रोपनी गीत

मुझे जन्म के ठीक बाद बताया गया
पूरे गाँव में कितनी औरतें हैं
कितनी झुकती है किसकी कमर
किसकी उँगली में है जादू
कौन कम मजूरी में ज़्यादा काम करती हैं
मुझे यह भी पता था कि अगले आषाढ़ में
किसकी लड़की धान लगाने वाली हो जाएगी
किसकी होगी शादी
किसे होगी क़र्ज़ की कितनी ज़रूरत
सब कुछ निर्भर था
धान के रक़बे पर
मुझे चावलों का स्वाद पता
उनका आकार पता
यहाँ तक कि जब वे थाली में जूठन की तरह छूट जाते थे
तब लगता था कि आसमान में तारे बिखरे हों
वे जो कनई में रोपती थीं
काला नमक और बासमती चावल
आधे पेट
नसीब नहीं हुई उन्हें
काला नमक और बासमती की ख़ुशबू
मुझे बचपन से ही मिली सिखावन
कैसे बुलाते हैं मजूर
सुबह कितने समय जाना है उन्हें हाँककर लाने
नहीं बैठना है उनकी चारपाई पर
क़ायम रखनी है शरीर और वाणी की अकड़
धान रोपती स्त्रियों को देखकर
मुझे सावन में गाए जाने वाले गीत नहीं
अपने पुरखों की मूँछें और गालियाँ याद आती हैं
जो मुझे सिखाई गईं
कैसे बुलाते हैं
धान रोपने वाली स्त्रियों को।

~ रमाशंकर सिंह

April 7, 2023

आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए

आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए

जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए

वो जान ही गए कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

हँसने का शौक़ हमको भी था आप की तरह
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हम से पूछिए

हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए

April 1, 2023

राजा ने आदेश दिया

राजा ने आदेश दिया : बोलना बन्द
क्योंकि लोग बोलते हैं तो राजा के विरुद्ध बोलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : लिखना बन्द
क्योंकि लोग लिखते हैं तो राजा के विरुद्ध लिखते हैं।

राजा ने आदेश दिया : चलना बन्द
क्योंकि लोग चलते हैं तो राजा के विरुद्ध चलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : हँसना बन्द
क्योंकि लोग हँसते हैं तो राजा के विरुद्ध हँसते हैं।

राजा ने आदेश दिया : होना बन्द
क्योंकि लोग होते हैं तो राजा के विरुद्ध होते हैं।

इस तरह राजा के आदेशों ने लोगों को
उनकी छोटी-छोटी क्रियाओं का महत्त्व बताया।

March 24, 2023

स्वर्ग की सराय

लाखों मारे गए, जबकि हर कोई निर्दोष था।
मैं अपने कमरे तक महदूद था। 

राष्ट्राध्यक्ष ने युद्ध का ऐसा बखान किया
जैसे हो कोई जादुई प्रेम-रस।
मेरी आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गई थीं।

आईने में मेरा चेहरा ऐसा लगा मुझे
गोया मैं कोई डाक टिकट हूँ
जिसे डाकख़ाने ने दो बार रद्द कर दिया हो।
मैं ठीक से रहा, लेकिन ज़िंदगी भयानक थी।
उस दिन कितने सारे सैनिक थे
और शरणार्थियों की अपार भीड़ थी सड़क पर।

ज़ाहिर है, वे सब मिटा दिए गए
उँगली की एक हरकत से।
इतिहास ने अपने मुँह के ख़ून लगे कोरों को धीरे से चाट लिया।

बिके हुए चैनल पर, एक आदमी और एक औरत
कामातुर चुम्बनों में लीन थे
और एक दूसरे के कपडे फाड़े जा रहे थे
जबकि मैं चुपचाप देखता जा रहा था
आवाज़ बंद कर—कमरे के अँधेरे में
बस स्क्रीन रह-रह चमक उठती थी
जहाँ बहुत ज़्यादा था सुर्ख़ लाल रंग
या ज़रूरत से ज़्यादा रंग गुलाबी।

- चार्ल्स सिमिक
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज

March 18, 2023

जवाब

जो कोई सवाल पूछता है उसे

रिवॉल्वर की पूरी छह गोली मारी जाती हैंः

पहली उसके दुस्साहस के लिए

दूसरी व्यक्तिगत राय रखने के लिए

तीसरी उसकी मौत के लिए

चौथी मौत की पुष्टि के लिए

पांचवीं अपनी घृणा के लिए

छठवीं राज्य के प्रति

निष्ठा के लिए 

---कुमार अंबुज

March 11, 2023

लब पे आती है दुआ

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िंदगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी!
दूर दुनिया का मिरे दम से अंधेरा हो जाए!
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए!
हो मिरे दम से यूं ही मेरे वतन की ज़ीनत

जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िंदगी हो मिरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म की शमा से हो मुझ को मोहब्बत या-रब
हो मिरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को
नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को

अल्लामा इक़बाल

March 5, 2023

How to Do Absolutely Nothing

Rent a house near the beach, or a cabin

but: Do not take your walking shoes.

Don’t take any clothes you’d wear

anyplace anyone would see you.

Don’t take your rechargeables.

Take Scrabble if you have to,

but not a dictionary and no

pencils for keeping score.

Don’t take a cookbook

or anything to cook.

A fishing pole, ok

but not the line,

hook, sinker,

leave it all.

Find out

what’s

left.

--- Barbara Kingsolver

February 26, 2023

The City

You said: “I’ll go to another country, go to another shore,
find another city better than this one.
Whatever I try to do is fated to turn out wrong
and my heart lies buried like something dead.
How long can I let my mind moulder in this place?
Wherever I turn, wherever I look,
I see the black ruins of my life, here,
where I’ve spent so many years, wasted them, destroyed them totally.”

You won’t find a new country, won’t find another shore.
This city will always pursue you.
You’ll walk the same streets, grow old
in the same neighborhoods, turn gray in these same houses.
You’ll always end up in this city. Don’t hope for things elsewhere:
there’s no ship for you, there’s no road.
Now that you’ve wasted your life here, in this small corner,
you’ve destroyed it everywhere in the world.

---  C P Cavafy (Translated by Edmund Keeley)

February 14, 2023

THE TRUE LOVE

There is a faith in loving fiercely
the one who is rightfully yours,
especially if you have
waited years and especially
if part of you never believed
you could deserve this
loved and beckoning hand
held out to you this way.

I am thinking of faith now
and the testaments of loneliness
and what we feel we are
worthy of in this world.

Years ago in the Hebrides,
I remember an old man
who walked every morning
on the grey stones
to the shore of baying seals,
who would press his hat
to his chest in the blustering
salt wind and say his prayer
to the turbulent Jesus
hidden in the water,

and I think of the story
of the storm and everyone
waking and seeing
the distant
yet familiar figure
far across the water
calling to them

and how we are all
preparing for that
abrupt waking,
and that calling,
and that moment
we have to say yes,
except it will
not come so grandly
so Biblically
but more subtly
and intimately in the face
of the one you know
you have to love

so that when
we finally step out of the boat
toward them, we find
everything holds
us, and everything confirms
our courage, and if you wanted
to drown you could,
but you don’t
because finally
after all this struggle
and all these years
you simply don’t want to
any more
you’ve simply had enough
of drowning
and you want to live and you
want to love and you will
walk across any territory
and any darkness
however fluid and however
dangerous to take the
one hand you know
belongs in yours.

---David Whyte

February 8, 2023

15 बेहतरीन शेर - 6 !!!

1. आख़िर गिल अपनी सर्फ़ दरे-मैकदा हुई, पहुँची वहीं पे ख़ाक जहाँ का ख़मीर था। ~मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार

2. बात मुक़द्दर की है सारी, वक़्त का लिखा मारता है, कुछ सजदों में मर जाते हैं, कुछ को सजदा मारता है - अली जरयून

3. काबे में मुसलमाँ को कह देते हैं काफिर, बुतखाने में काफिर को काफिर नहीं कहते - बिस्मिल सईदी

4. ग़ुरूरे वक्त तुझको बात इतनी कौन समझाये, वो सर झुक ही नहीं सकता जिसे कट जाना आता है। ~वसीम बरेलवी

5. ख़ुद से जो राब्ता नहीं करते, ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते ! तुमको मालूम क्या है आज़ादी, तुम परिंदे रिहा नहीं करते - शाहरुख़ अबीर

6. गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़, काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी

7. आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो, जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने 'फ़िराक़' को देखा है| - फ़िराक़ गोरखपुरी

8. हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब, ढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने ~मेराज फ़ैज़ाबादी

9. बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा, बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा ~इस्माइल मेरठी

10. ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के, हमारे दिल कबाब और तू पिए प्याले रक़ीबों के ~ वली उज़लत

11. ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है - अज़हर इनायती

12. मेरी हवाओं में रहेगी, ख़्यालों की बिजली, यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे, न रहे...!!! - भगत सिंह

13. मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया, कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया...!!! - नामालूम

14. क्या हमारा मुंह उजाला हो गया, साया भी जल जल के काल हो गया - ज़हीर रहमती

15. चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी - बशीर बद्र

February 2, 2023

डायन और बुद्ध

कुछ औरतें,
अपने पतियों,
और बच्चों को सोते हुए,
अकेला छोड़ चली गईं,
ऐसी औरतें,
डायन हो गईं,

कुछ पुरुष,
अपने बच्चों और बीवियों,
को सोते हुए,
अकेला छोड़ चले गए,
ऐसे पुरुष,
बुद्ध हो गए,
कहानियों में,

डायनों के हिस्से आएं,
उल्टे पैर,
और बच्चे खा जाने वाले,
लंबे, नुकीले दांत,
और बुद्ध के,
हिस्से आया,
त्याग, प्रेम,
दया, देश,
और ईश्वर हो जाना।

--- आलोक आज़ाद

January 26, 2023

Democracy Poem #1

Tell them that I stood
in line
and I waited
and I waited
like everybody
else

But I never got
called
And I keep that scrap
of paper
in my pocket

just in case

--- June Jordan

January 23, 2023

क्या गजब का देश है

क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।
बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है।
आँख में दरिया है सबके
दिल में है सबके पहाड़
आदमी भूगोल है जी चाहा नक्शा पेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

हैं सभी माहिर उगाने
में हथेली पर फसल
औ हथेली डोलती दर-दर बनी दरवेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

पेड़ हो या आदमी
कोई फरक पड़ता नहीं
लाख काटे जाइए जंगल हमेशा शेष हैं।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

--- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

January 14, 2023

एक दिन शिनाख़्त

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हम क्या कर रहे थे?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी नींद कितनी गहरी थी?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आवाज़ कौन छीनकर ले गया?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आँखों को एकाएक क्या हुआ?

एक दिन
हमारी नब्ज़
टटोली जाएगी

एक दिन
क़तार में खड़े
हम
अपनी अपनी सज़ा का
इंतेज़ार कर रहे होंगे

January 7, 2023

सूअर का बच्चा

बारिश जमकर हुई, धुल गया सूअर का बच्चा
धुल-पुँछकर अँगरेज़ बन गया सूअर का बच्चा।

चित्रलिखी हकबकी गाय, झेलती रही बौछारें
फिर भी कूल्हों पर गोबर की झाँई छपी हुई है
कुत्ता तो घुस गया अधबने उस मकान के भीतर
जिसमें पड़ना फ़र्श, पलस्तर होना सब बाक़ी है।

चीनी मिल के आगे डीज़ल मिले हुए कीचड़ में
रपट गया है लिए-दिए इक्का गर्दन पर घोड़ा
लिथड़ा पड़ा चलाता टाँगें आँखों में भर आँसू
दौड़े लोग मदद को, मिस्त्री-रिक्शे-ताँगेवाले।

राजमार्ग है यह, ट्राफ़िक चलता चौबीसों घंटे
थोड़ी-सी भी बाधा से बेहद बवाल होता है।
लगभग बंद हुआ पानी पर टपक रहे हैं खोखे
परेशान हैं ख़ास तौर पर चाय-पकौड़े वाले,
या बीड़ी माचिस वाले।

पोलीथिन से ढाँप कटोरी लौट रही घर रज्जो
अम्मा के आने से पहले चूल्हा तो धौंका ले
रखे छौंक तरकारी।

पहले-पहल दृश्य दीखते हैं इतने अलबेले
आँखों ने पहले-पहले अपनी उजास देखी है
ठंडक पहुँची सीझ हृदय में अद्भुत मोद भरा है
इससे इतनी अकड़ भरा है सूअर का बच्चा।

--- वीरेन डंगवाल

January 1, 2023

तुम सवालो से भरे हो...

तुम सवालो से भरे हो
क्या तुम्हें मालूम है

भीड़ से कुछ पूछने भी
जानलेवा जुर्म है

तफशीष करने आये हो
खुल कर लो शौक से

फर्क पड़ता है कहा है
एक दो की मौत से

चार दिन चर्चा उठेगी
डेमोक्रेसी लाएंगे

पांचवे दिन सब काम पे
लग जाएंगे

काम से ही काम रखना
हा मगर ये याद रखना

कोई पूछे कौन थे
बस तुम्हे इतना ही कहना

भीड़ थी कुछ लोग थे

फिर भी कोई ज़िद पकड़ले
क्या हुआ किसने किया

सोच के उंगली उठाना
कट रही है उंगलियां

बात को कुछ यूं घूमना

नफरतो के रोग थे
धर्म न जात उनके

भीड़ थी
कुछ लोग थे

--- नवीन चौरे

December 25, 2022

Potli Baba Ki (पोटली बाबा की) (Old Doordarshan Serial Title Song)

आया... रे बाबा आया...

घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,
किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,
हे.. आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...

पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
पोटली में हरी-भरी परियों के पर
मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं का बाघ,
हे..आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...
आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा...

आया... रे बाबा आया...

December 20, 2022

हाथी

पकड़े जाने से पहले हर रोज़ हाथी
नदी पर आता है अपने दोस्त हाथियों के साथ
कसरत करता है
भरपूर पानी में अपने बदन को प्यार करता है
अपने दाँतों को बालू में धँसा-धँसा कर माँजता है।

पकड़े जाने के बाद
हाथी के बदन, ताक़त और
उन दाँतों का इस्तेमाल मालिक करते है
जिन्हें हाथी ने बनाया था
बहुत मेहनत और प्यार के साथ
पकड़े जाने से पहले।

December 16, 2022

मेरा धन है स्वाधीन क़लम

राजा बैठे सिंहासन पर,
यह ताजों पर आसीन क़लम

मेरा धन है स्वाधीन क़लम
जिसने तलवार शिवा को दी
रोशनी उधार दिवा को दी
पतवार थमा दी लहरों को
खंजर की धार हवा को दी
अग-जग के उसी विधाता ने, 
कर दी मेरे आधीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

रस-गंगा लहरा देती है
मस्ती-ध्वज फहरा देती है
चालीस करोड़ों की भोली
किस्मत पर पहरा देती है
संग्राम-क्रांति का बिगुल यही है, 
यही प्यार की बीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

कोई जनता को क्या लूटे
कोई दुखियों पर क्या टूटे
कोई भी लाख प्रचार करे
सच्चा बनकर झूठे-झूठे
अनमोल सत्य का रत्‍नहार, 
लाती चोरों से छीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

बस मेरे पास हृदय-भर है
यह भी जग को न्योछावर है
लिखता हूँ तो मेरे आगे
सारा ब्रह्मांड विषय-भर है
रँगती चलती संसार-पटी, 
यह सपनों की रंगीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन कलम

लिखता हूँ अपनी मर्ज़ी से
बचता हूँ कैंची-दर्ज़ी से
आदत न रही कुछ लिखने की
निंदा-वंदन खुदगर्ज़ी से
कोई छेड़े तो तन जाती, बन जाती है संगीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम

तुझ-सा लहरों में बह लेता
तो मैं भी सत्ता गह लेता
ईमान बेचता चलता तो
मैं भी महलों में रह लेता
हर दिल पर झुकती चली मगर, 
आँसू वाली नमकीन क़लम
मेरा धन है स्वाधीन क़लम 

December 11, 2022

Reading books

Reading books
you're there inside me

Hearing songs
you're inside me

Eating my bread
you're sitting before me

Or at my work
you're before me.

You're my "silent partner"
everywhere.

Although we cannot speak
Although we cannot hear
each other's voices.
You're my widow of eight years.

--- Nâzım Hikmet

December 6, 2022

Fascism: I sometimes fear...

I sometimes fear that
people think that fascism arrives in fancy dress
worn by grotesques and monsters
as played out in endless re-runs of the Nazis.

Fascism arrives as your friend.
It will restore your honour,
make you feel proud,
protect your house,
give you a job,
clean up the neighbourhood,
remind you of how great you once were,
clear out the venal and the corrupt,
remove anything you feel is unlike you...


It doesn't walk in saying,
"Our programme means militias, mass imprisonments, transportations, war and persecution.”

- Michael Rosen,

November 30, 2022

जाति के लिए

ईश्वर सिंह के उपन्यास पर
राजधानी में गोष्ठी हुई
कहते हैं कि बोलने वालों में
उपन्यास के समर्थक सब सिंह थे
और विरोधी ब्राह्मण

सुबह उठा तो
अख़बार के मुखपृष्ठ पर
विज्ञापन था :
अमर सिंह को बचाएँ’
और यह अपील करने वाले
सांसद और विधायक क्षत्रिय थे
मैं समझ नहीं पाया
अमर सिंह एक मनुष्य हैं
तो उन्हें क्षत्रिय ही क्यों बचाएँगे?

दुपहर में
एक पत्रिका ख़रीद लाया
उसमें कायस्थ महासभा के
भव्य सम्मेलन की ख़बर थी
देश के विकास में
कायस्थों के योगदान का ब्योरा
और आरक्षण की माँग
मुझे लगा
योगदान करने वालों की
जाति मालूम करो
और फिर लड़ो
उनके लिए नहीं
जाति के लिए

शाम को मैं मशहूर कथाकार
गिरिराज किशोर के घर गया
मैंने पूछा : देश का क्या होगा?
उन्होंने कहा : देश का अब
कुछ नहीं हो सकता
फिर वह बोले : अभी
वैश्य महासभा वाले आए थे
कह रहे थे—आप हमारे
सम्मेलन में चलिए

--- पंकज चतुर्वेदी

November 24, 2022

सबसे सुन्दर समुद्र

The loveliest seais the sea not yet traveled

The loveliest child

is the child not yet born

Our loveliest days

are those we have not yet lived through.

And the loveliest word I would say to you

is the word that I have not yet said.


सबसे सुन्दर समुद्र

अभी तक पार नहीं किया गया

सबसे सुन्दर बच्चा

अभी तक बड़ा नहीं हुआ

हमारे सबसे सुन्दर दिन

हमने अभी तक देखे नहीं

जो सबसे सुन्दर शब्द तुमसे कहना चाहता था

अभी तक कहे नहीं।

अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

November 20, 2022

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है (Guchhe) (Old Doordarshan Serial Title Song)

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो..

बिन दांतों की दादी अम्मा, बिन दांतों की दादी अम्मा |
दो पटनों की नानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो..

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो...

भारी भरकम एक कहानी |
भारी भरकम एक कहानी |
केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |
भारी भरकम एक कहानी, केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |

खट्टी हो तो नमक लगा के, खट्टी हो तो नमक लगा के
गले में अटके पानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो... |

November 14, 2022

यह बच्चा किसका बच्चा है

यह बच्चा कैसा बच्चा है

यह बच्चा काला-काला-सा
यह काला-सा, मटियाला-सा
यह बच्चा भूखा-भूखा-सा
यह बच्चा सूखा-सूखा-सा
यह बच्चा किसका बच्चा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है
जो रेत पर तन्हा बैठा है
ना इसके पेट में रोटी है
ना इसके तन पर कपड़ा है
ना इसके सर पर टोपी है
ना इसके पैर में जूता है
ना इसके पास खिलौना है
कोई भालू है कोई घोड़ा है
ना इसका जी बहलाने को
कोई लोरी है कोई झूला है
ना इसकी जेब में धेला है
ना इसके हाथ में पैसा है
ना इसके अम्मी-अब्बू हैं
ना इसकी आपा-खाला है
यह सारे जग में तन्हा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है

[2]

यह सहरा कैसा सहरा है
ना इस सहरा में बादल है
ना इस सहरा में बरखा है
ना इस सहरा में बाली है
ना इस सहरा में खोशा (अनाज की बाली) है
ना इस सहरा में सब्ज़ा है
ना इस सहरा में साया है

यह सहरा भूख का सहरा है
यह सहरा मौत का सहरा है

[3]

यह बच्चा कैसे बैठा है
यह बच्चा कब से बैठा है
यह बच्चा क्या कुछ पूछता है
यह बच्चा क्या कुछ कहता है
यह दुनिया कैसी दुनिया है
यह दुनिया किसकी दुनिया है

[4]

इस दुनिया के कुछ टुकड़ों में
कहीं फूल खिले कहीं सब्ज़ा है
कहीं बादल घिर-घिर आते हैं
कहीं चश्मा है कहीं दरिया है
कहीं ऊंचे महल अटरिया हैं
कहीं महफ़िल है, कहीं मेला है
कहीं कपड़ों के बाज़ार सजे
यह रेशम है, यह दीबा (बारीक रेशमी कपड़ा) है
कहीं गल्ले के अम्बार लगे
सब गेहूं धान मुहय्या है
कहीं दौलत के संदूक़ भरे
हां तांबा, सोना, रूपा है
तुम जो मांगो सो हाज़िर है
तुम जो चाहो सो मिलता है
इस भूख के दुख की दुनिया में
यह कैसा सुख का सपना है?
वो किस धरती के टुकड़े हैं?
यह किस दुनिया का हिस्सा है?

[5]

हम जिस आदम के बेटे हैं
यह उस आदम का बेटा है
यह आदम एक ही आदम है
वह गोरा है या काला है
यह धरती एक ही धरती है
यह दुनिया एक ही दुनिया है
सब इक दाता के बंदे हैं
सब बंदों का इक दाता है
कुछ पूरब-पच्छिम फ़र्क़ नहीं
इस धरती पर हक़ सबका है

[6]

यह तन्हा बच्चा बेचारा
यह बच्चा जो यहां बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूख मिटे
(क्या मुश्किल है, हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हां दूध यहां बहुतेरा है)
इस बच्चे का कोई तन ढांके
(क्या कपड़ों का यहां तोड़ा (अभाव) है?)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इंसान जो अब तक ज़िंदा है)
फिर देखिए कैसा बच्चा है
यह कितना प्यारा बच्चा है

[7]

इस जग में सब कुछ रब का है
जो रब का है, वह सबका है
सब अपने हैं कोई ग़ैर नहीं
हर चीज़ में सबका साझा है
जो बढ़ता है, जो उगता है
वह दाना है, या मेवा है
जो कपड़ा है, जो कम्बल है
जो चांदी है, जो सोना है
वह सारा है इस बच्चे का
जो तेरा है, जो मेरा है

यह बच्चा किसका बच्चा है?
यह बच्चा सबका बच्चा है

--- इब्ने इंशा

November 9, 2022

Thinking of you

Thinking of you
is a beautiful thing
a hopeful thing
a thing like hearing
the most beautiful song
from the world's most beautiful voice...
But hope no longer is enough for me
I no longer want to hear the song—
I want to sing it...

तुम्हें याद करना
कितना खूबसूरत और पुरउम्मीद है
जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत आवाज़ से
सबसे खूबसूरत गीत सुनना
पर अब उम्मीद काफी नहीं है मेरे लिए
मैं अब गाने सुनना नहीं चाहता
मैं गाना चाहता हूँ।

--- नाज़िम हिकमत
अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

November 4, 2022

परसाई जी की बात

आज से ठीक चौवन बरस पहले
जबलपुर में,
परसाई जी के पीछे लगभग भागते हुए
मैंने उन्हें सुनाई अपनी कविता
और पूछा “क्या इस पर इनाम मिल सकता है”
“अच्छा कविता पर सज़ा भी मिल सकती है”
सुनकर मैं सन्न रह गया
क्योंकि उसी शाम, विद्यार्थियों की कविता प्रतियोगिता में
मैं हिस्सा लेना चाहता था
और परसाई जी उसकी अध्यक्षता करने वाले थे।
आज, जब सुन रहा हूँ, वाह, वाह
मित्र लोग ले रहे हैं हाथों-हाथ
सज़ा कैसी कोई सख़्त बात तक नहीं कहता
तो शक होने लगता है,
परसाईजी की बात पर, नहीं—
अपनी कविताओं पर।


स्रोत : पुस्तक : सुनो चारुशीला (पृष्ठ 82) 

October 31, 2022

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा।

एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा

पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।

जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फ़ुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा—
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।

--- विनोद कुमार शुक्ल

October 25, 2022

Stationery

The moon did not become the sun.
It just fell on the desert
in great sheets, reams
of silver handmade by you.

The night is your cottage industry now,
the day is your brisk emporium.

The world is full of paper.
Write to me.

--- Agha Shahid Ali
(The Half-Inch Himalayas, 1987)

October 19, 2022

लाल ज़री - Varieties of Ghazal: Poems of the Middle East

लाल ज़री
अरबी लोगों में कहावत थी कि
जब कोई अजनबी दस्तक दे तुम्हारे दरवाज़े पर,
तो उसे तीन दिनों तक खिलाओ-पिलाओ…
यह पूछने से पहले कि वह कौन है,
कहाँ से आया है,
कहाँ को जाएगा।
इस तरह, उसके पास होगी पर्याप्त ताक़त
जवाब देने के लिए।
या फिर, तब तक तुम बन जाओगे
इतने अच्छे मित्र
कि तुम परवाह नहीं करोगे।

चलो फिर लौट जाएँ वहीं।
चावल? चिलगोज़े?
यहाँ, लो यह लाल ज़री वाला तकिया।
मेरा बच्चा पानी पिला देगा
तुम्हारे घोड़े को।

नहीं, मैं व्यस्त नहीं था जब तुम आए!
मैं व्यस्त होने की तैयारी में भी नहीं था।
यही आडंबर ओढ़ लेते हैं सब
यह दिखाने के लिए उनका कोई उद्देश्य है
इस दुनिया में।

मैं ठुकराता हूँ सभी दावे।
तुम्हारी थाली प्रतीक्षारत है।
चलो हम ताज़ा पुदीना घोलते हैं
तुम्हारी चाय में।

--- नाओमी शिहाब नाइ
‘वैराइटीज़ ऑफ़ ग़ज़ाले : पोएम्ज़ ऑफ़ द मिडिल ईस्ट’ से
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पल्लवी व्यास

October 14, 2022

अजीब वक्त है

अजीब वक्त है -
बिना लड़े ही एक देश- का देश
स्वीकार करता चला जाता
अपनी ही तुच्छताओं की अधीनता !
कुछ तो फर्क बचता
धर्मयुद्ध और कीट युद्ध में -
कोई तो हार जीत के नियमों में
स्वाभिमान के अर्थ को फिर से ईजाद करता

--- कुंवर नारायण

October 7, 2022

All Your Horses

Say when rain
cannot make
you more wet
or a certain
thought can’t
deepen and yet
you think it again:
you have lost
count. A larger
amount is
no longer a
larger amount.
There has been
a collapse; perhaps
in the night.
Like a rupture
in water (which
can’t rupture
of course). All
your horses
broken out with
all your horses.

--- Kay Ryan

October 2, 2022

दुख-सुख

'दुख-सुख तो
आते-जाते रहेंगे
सब कुछ पार्थिव है यहाँ
लेकिन मुलाक़ातें नहीं हैं
पार्थिव
इनकी ताज़गी
रहेगी यहाँ
हवा में!
इनसे बनती हैं नई जगहें
एक बार और मिलने के बाद भी
एक बार और मिलने की इच्छा
पृथ्वी पर कभी ख़त्म नहीं होगी'

September 25, 2022

Traveling through the Dark

Traveling through the dark I found a deer
dead on the edge of the Wilson River road.
It is usually best to roll them into the canyon:
that road is narrow; to swerve might make more dead.

By glow of the tail-light I stumbled back of the car
and stood by the heap, a doe, a recent killing;
she had stiffened already, almost cold.
I dragged her off; she was large in the belly.

My fingers touching her side brought me the reason—
her side was warm; her fawn lay there waiting,
alive, still, never to be born.
Beside that mountain road I hesitated.

The car aimed ahead its lowered parking lights;
under the hood purred the steady engine.
I stood in the glare of the warm exhaust turning red;
around our group I could hear the wilderness listen.

I thought hard for us all—my only swerving—,
then pushed her over the edge into the river.

--- William Stafford

September 20, 2022

ईश्वर अब अधिक है

ईश्वर अब अधिक है
सर्वत्र अधिक है
निराकार साकार अधिक
हरेक आदमी के पास बहुत अधिक है।
बहुत बँटने के बाद
बचा हुआ बहुत है।
अलग-अलग लोगों के पास
अलग-अलग अधिक बाक़ी है।
इस अधिकता में
मैं अपने ख़ाली झोले को
और ख़ाली करने के लिए
भय से झटकारता हूँ
जैसे कुछ निराकार झर जाता है।

--- विनोद कुमार शुक्ल

September 15, 2022

Sindabad Jahaji Title Song

डोले रे, डोले डोले डोले रे
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी

नीला समुंदर है आकाश प्याजी, 
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी ओ मेरा जहाजी
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
डोले रे, डोले डोले डोले रे

पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
शबनम के हीरे हैं, हीरे के झूले
दिन रात चक्कर लगती हैं चीलें

लहर लहर चलती कहानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
डोले रे, डोले डोले डोले रे

---ग़ुलज़ार

September 14, 2022

September

Then the flowers became very wild

because it was early September

and they had nothing to lose

they tossed their colors every

which way over the garden wall

splattering the lawn shoving their

wild orange red rain-disheveled faces

into my window without shame

--- Grace Paley, from Begin Again: Collected Poems (Farrar, Straus & Giroux, 2001)

September 10, 2022

As much as you can

And if you can't shape your life the way you want,
at least try as much as you can
not to degrade it
by too much contact with the world,
by too much activity and talk.

Try not to degrade it by dragging it along,
taking it around and exposing it so often
to the daily silliness
of social events and parties,
until it comes to seem a boring hanger-on.

--- Constantine P. Cavafy

September 5, 2022

रि‍सर्च स्‍कॉलरों का गीत

खेतिहर रिसर्चर

गोभी के सब फूल कट गए
भिंडी और बैंगन बोना है
आमों के मौसम में अबकी
फिर मचान पर सोना है
थीसिस लिखनी थी कॉर्बन पर, गाइड गया जापान
केमिस्ट्री का रिसर्च स्कॉलर, हलक़ में अटके प्राण

कुक रिसर्चर

एक टीन गुझिया बनवाया
तीज हो गया पार
जितिया पर अब फेना घोलो
कैसा अत्याचार
हिस्ट्री में पीएच.डी. ब्याह आई.ए.एस. से करना था
गाइड के कीचन में देखा ये सुंदर सपना था

छोटे शहर का रिसर्चर

तीन बजे भोर से लगा है लाइन में
आठ बजे तत्काल कहाँ
फ़िज़िक्स के रिसर्चर की
कहाँ, है मुक्ति कहाँ?
गाइड का दामाद आ गया, टीसन से लाना है
बेटी का भी इस असाढ़ में गौना करवाना है

जुगाड़ू रिसर्चर

मेरिट का भंडार पड़ा है
माल रहे भरपूर
पचास हज़ार में थीसिस लिखाओ
माथा रक्खो कूल
राहर ख़ूब हुआ अबकी सोयाबीन भी लगवाएँगे
ए जी, याद दिलाना कॉलेज तनखा लाने जाएँगे

धोखा खाया हुआ रिसर्चर

चार साल तक झोला ढोए
गाइड निकला धोखेबाज़
हमसे पॉलीटिक्स कराके
अपना किया विभाग पर राज
नहीं परमानेंट चलो एडहॉक सेट हो लेंगे
वरना उस चूतिये के नाम पर ब्लाउज़ पीस बेचेंगे

कॉमरेड रिसर्चर

कम्युनिस्ट समझ कर इसके अंडर में आया था
साला संघी निकला सबको धोखे में डाला था
नवरात्रि का व्रत, माथे पर तारापीठ की भस्म
विचारधारा का प्रश्न है साथी, अब पीएच.डी. बंद

शोषित रिसर्चर

एम.ए. से ही नंबर देता, स्माइल पास करता था
पीएच.डी. में आकर जाना क्यों इतना मरता था
डिग्री के चक्कर में चुप हूँ, मुफ़्त एक बदनामी
रिटायरमेंट के समय गाइड को चढ़ गई नई जवानी
बच्चे हैं यू.एस. में इसके, बीवी है गांधारी
रेप केस की धमकी इसको दे-देकर मैं हारी

गाइड-प्रेमी रिसर्चर

धंय-धंय मेरे गाइड का फिर से हुआ प्रोमोशन
किंगफ़िशर घटिया है अबकी फ़्रेंच वाइन देंगे हम
सर ने बोला सोमवार सो इंटरव्यू देना है
टॉप सीक्रेट मित्र यहाँ पर मेरा ही होना है
सर ख़ुद हैं पैनल में प्रिंसिपल से कर ली है सेटिंग
देखें कैसे रोड़ा अटकाती है सेकिंड डिविज़िन

भाग्यहीन रिसर्चर

पहला गाइड कामधेनु था पर हो गया सस्पेंड
दूजे ने फिर दुनिया छोड़ी, हुआ था एक्सीडेंट
अब तो बंजर धरती जैसी गाइड संग रोना है
हाय शनि महाराज मेरे साथ और क्या होना है
कॉलेज की उम्मीद नहीं अब बी.एड. करना होगा
नई कविता के ज्ञाता को कारक रटना होगा

--- शुभम श्री

बाबा नागार्जुन की 'पुरानी जूतियों का कोरस' से प्रेरित होकर

August 31, 2022

The Envoy of Mr. Cogito

Go where those others went to the dark boundary
for the golden fleece of nothingness your last prize

go upright among those who are on their knees
among those with their backs turned and those toppled in the dust

you were saved not in order to live
you have little time you must give testimony

be courageous when the mind deceives you be courageous
in the final account only this is important

and let your helpless Anger be like the sea
whenever you hear the voice of the insulted and beaten

let your sister Scorn not leave you
for the informers executioners cowards—they will win

they will go to your funeral and with relief will throw a lump of earth
the woodborer will write your smoothed-over biography

and do not forgive truly it is not in your power
to forgive in the name of those betrayed at dawn

beware however of unnecessary pride
keep looking at your clown’s face in the mirror
repeat: I was called—weren’t there better ones than I

beware of dryness of heart love the morning spring
the bird with an unknown name the winter oak

light on a wall the splendour of the sky
they don’t need your warm breath
they are there to say: no one will console you

be vigilant—when the light on the mountains gives the sign—arise and go
as long as blood turns in the breast your dark star

repeat old incantations of humanity fables and legends
because this is how you will attain the good you will not attain
repeat great words repeat them stubbornly
like those crossing the desert who perished in the sand

and they will reward you with what they have at hand
with the whip of laughter with murder on a garbage heap

go because only in this way will you be admitted to the company of cold skulls
to the company of your ancestors: Gilgamesh Hector Roland
the defenders of the kingdom without limit and the city of ashes

Be faithful Go

--- Zbigniew Herbert ( Translated by Bogdana Carpenter)

August 26, 2022

To Kurdish brother

The mountains are crying, drenched with blood,
Shot down stars are falling:
On the patches of valley, are wounded and buried,
Hungry chauvinism rushes in.
Oh, kurd, save your bullets,
But don't spare the life of murderers.
On bastards of tyranny and death
Like bloody whirlwind fall down, like a tempest.
Only let the bullets talk to them:
Not just for your possession did they come,
To take your name and language they came.
And leave your son to be an orphan.
With the oppressor you can not live in consent
He will "rule" and you will pull the cart.
They get fat from the blood of people they resent.
Chauvinism is our worst enemy by far.
He betrothed treachery with shame,
He will do anything, so you will submit to him.
Oh, kurd, save your bullets-
Without them you won't save your kin,
Do not put to sleep the power of hate,
Then, as a motto, you will take the kindness,
As soon as will fall into a gaping grave
The last chauvinist on the planet Earth.

August 21, 2022

इब्नबतूता पहन के जूता

इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई 
घुस गई थोड़ी कान में

कभी नाक को, 
कभी कान को मलते इब्नबतूता 
इसी बीच में निकल पड़ा 
उनके पैरों का जूता 

उड़ते उड़ते जूता उनका 
जा पहुँचा जापान में 
इब्नबतूता खड़े रह गये 
मोची की दुकान में 

August 15, 2022

मैं देशहित में क्या सोचता हूं

मैं एक साधारण सा आदमी हूं
व्यवसाय करता हूं
रोज अपने फ्लैट से निकलता हूं
और देर रात फ्लैट में घुसता हूं
बाहर पहरा बिठाए रखता हूं

टीवी देखता हुआ सोचता हूं
कश्मीर में सभी भारतीय क्यों नहीं घुस सकते ?
अच्छा हुआ सरकार ने 370 हटा दिया
और ये आदिवासी इलाके?
ये क्या बाहरी-भीतरी लगाए रखते हैं?
वहां भी सभी भारतीय क्यों बस नहीं सकते?

मैं तो दलितों को जाहिल
और आदिवासियों को जानवर समझता हूं
मुस्लिम और ईसाई को देशद्रोही
और इस देश से इन सबकी सफ़ाई चाहता हूं

मैंने कभी जीवन में
गांव नहीं देखे, बस्ती नहीं देखी
झुग्गी नहीं देखे, जंगल नहीं देखे
मैं किसी को भी ठीक से जानता नहीं
मुठ्ठी भर लोगों को जानता-पहचानता हूं
जिन्हें मैं भारतीय मानता हूं
और चाहता हूं
ये भारतीय हर जगह घुसें
और सारे संसाधनों पर कब्ज़ा करें

देशहित में यही सोचता हुआ
अपनी फ्लैट में घुसता हूं
बाहर पहरा बिठाए रखता हूं
मेरे सुकून और स्वतंत्रता में दख़ल देने
यहां कोई घुस न पाए
इस बात का पूरा ध्यान रखता हूं ।।

--- जसिंता केरकेट्टा